ढाई से पांच एकड़ के भू मालिकों के वर्ग में 22 प्रतिशत, एक से ढ़ाई एकड़ वालों में 23 प्रतिशत और एक एकड़ से कम वालों के पलायन का प्रतिशत 25 देखा गया है. वहीं, पांच से दस एकड़ भूमि के मालिकों में भी यह 25 प्रतिशत ही पाया गया है. संस्थान के अध्यक्ष पूर्व सीएम डॉ जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि इस पूरे विश्लेषण से साफ है कि सबसे ज्यादा पलायन या भूमिहीनों में है या फिर जिनके पास बहुत जमीन है.
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मजदूरों के पलायन पर हुए सेमिनार में पेश हुए आंकड़े, जमींदार परिवारों से 27% कामगार कर रहे पलायन
पटना : बिहार से बड़ी संख्या में काम करने के लिए लोगों का पलायन होता है, लेकिन इसमें केवल भूमिहीन ही शामिल नहीं होते हैं. बिहार में कुल 25 प्रतिशत कामगारों का पलायन हाेता है, इनमें जमींदारों का भी एक बड़ा हिस्सा पलायन करता है. बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान में फेडरिक एबर्ट स्टिफिंग इंडिया के […]
पटना : बिहार से बड़ी संख्या में काम करने के लिए लोगों का पलायन होता है, लेकिन इसमें केवल भूमिहीन ही शामिल नहीं होते हैं. बिहार में कुल 25 प्रतिशत कामगारों का पलायन हाेता है, इनमें जमींदारों का भी एक बड़ा हिस्सा पलायन करता है. बिहार आर्थिक अध्ययन संस्थान में फेडरिक एबर्ट स्टिफिंग इंडिया के सहयोग से मजदूरों के पलायन के बदलते आयाम पर हुए सर्वेक्षण में आंकड़े प्रस्तुत किये गये, जिसमें यह समाने आया कि जमींदार परिवारों से 27 प्रतिशत कामगार पलायन करते हैं.
छोटे खेतेवाले लोग गांव में ही रह कर अपने खेत पर काम करते हैं पर ज्यादा जमीन वालों के पास संसाधनों की बहुलता के कारण परिवार के बाकी सदस्यों को बाहर भेजना आसान रहता है.
अधीक्षक-सिविल सर्जन की मांगवायी सूची
पटना. स्वास्थ्य विभाग से लेकर मेडिकल कॉलेज तक सुबह से ही तबादले को लेकर गहमागहमी रही. डॉक्टरों के साथ-साथ अधीक्षक, प्राचार्य व सिविल सर्जन के तबादले की बात को लेकर चर्चा होती रही. हालात यह थे सभी लोग एक-दूसरे को फोन से संपर्क कर तबादले की जानकारी लेते रहे. लेकिन, किसी के हाथ कुछ विशेष जानकारी नहीं लगी. विभागीय सूत्रों की मानें, तो विभाग की ओर से सभी मेडिकल कॉलेजों से अधीक्षक, प्राचार्य और जिलों से सिविल सर्जन का ब्योरा मांगा गया है. क्योंकि हाल के दिनों में बहुत से जिलों में चिकित्सा व्यवस्स्था को लेकर अस्पतालों में हंगामा हुआ है और अस्पतालों में तोड़-फोड़ भी की गयी है. ऐसे में उन जिलों में उन अधिकारियों को भेजा जाये, जिनके रहते वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर रही है. सभी जिलों से अधिकारियों का ब्योरा मांगा गया है. फिलहाल विभाग की अोर से इस बात को लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
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