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अफसर के घर में कत्ल… यह राज छुप नहीं पायेगा
पटना : रात का अंधेरा है. सब सो रहे हैं, पर शांति देवी को नींद नहीं आ रही है. मन में बेचैनी हो रही है, आज उन्हें अपने बड़े बेटे सन्नी (23) की याद सता रही है. वह शहर में ही है, पर तीन महीने से घर नहीं आया है. कभी इस करवट, तो कभी […]
पटना : रात का अंधेरा है. सब सो रहे हैं, पर शांति देवी को नींद नहीं आ रही है. मन में बेचैनी हो रही है, आज उन्हें अपने बड़े बेटे सन्नी (23) की याद सता रही है. वह शहर में ही है, पर तीन महीने से घर नहीं आया है. कभी इस करवट, तो कभी उस करवट, जितनी करवटें उतनी ही बिस्तर पर सिलवटें. नींद है कि आने का नाम ही नहीं ले रही. किसी तरह से रात बीती. सुबह हुई, सब अपने काम में लग गये. सन्नी के पिता मधेस प्रसाद पटना के खेतान मार्केट में कपड़ा दुकान पर काम करते हैं, दूसरे नंबर का बेटा मुन्ना भी उसी मार्केट में मोटा भाई की दुकान पर काम करता है. सबसे छोटी बिटिया सुमन पढ़ाई करती है. जहानाबाद जिले के जमालपुर के मधेस प्रसाद कई साल पहले पटना आ चुके हैं. उन्होंने खगौल के लखनी बिगहा में मकान बना लिया है.
आज मां के दिल को तसल्ली मिली
आज तीन नवंबर (मंगलवार) है. सूरज ढलने वाला है. शांति देवी घर की छत पर बैठी हैं, बार-बार उनकी नजर उस रास्ते पर जाती है, क्योंकि आज भी सन्नी घर नहीं आया है. रात नौ बजे फोन की घंटी बजती है. शांति देवी लपक के फोन उठाती हैं. बेटे का फोन है, चेहरे पर खुशी दौड़ जाती है. बोलती हैं, हां बेटा बोल…., कैसे हो, घर कब आना है, तमाम सवाल ताबड़तोड़ हुए और जवाब सिर्फ एक था, मैं अच्छा हूं, जल्द ही घर आऊंगा. शांति देवी अभी और बात करना चाहती है, पर फोन कट जाता है. थोड़ी ही बात हुई, पर दिल को तसल्ली मिली. मां के कलेजे को आज ठंडक मिली है. वह खाना लेकर बैठी, तो थाली कब खाली हो गयी, पता भी नहीं चला. आज वह जल्दी सो गयी.
सन्नी हमेशा के लिए खामोश हो गया
4 नवंबर दिन बुधवार. सुबह-सुबह अनजान नंबर से मधेस प्रसाद के पास फोन गया. उन्होंने फोन रिसीव किया. हेलो…. मैं राजीव नगर थाना से बड़ा बाबू बोल रहा हूं, मधेस के तो प्राण सूख गये. ये अचानक थाने से क्यों फोन आया है. जवाब दिये, जी, बड़ा बाबू बोलिये. हां, आपके बेटे का नाम सन्नी है, वह भागलपुर एसडीओ कुमार अनुज का ड्राइवर है. जवाब मिला हां. ठीक है आप एसडीओ साहब के आवास मजिस्ट्रेट कॉलोनी रोड नंबर दो में आ जाइये. मधेस प्रसाद ने पूछा, क्या बात है, बड़ा बाबू ने बोला, बस आप जल्द आ जाइये.
थाने से आया फोन : सुबह के करीब सात बजे हैं. एसडीओ साहब की पत्नी विद्या सिन्हा ने थाने पर फोन करके बताया कि उनके ड्राइवर सन्नी ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है. पुलिस आनन-फानन में उनके घर पहुंचती है. दो मंजिला मकान है. ग्राउंड फ्लोर पर सन्नी का कमरा है, पुलिस जब दरवाजा खाेलती है, तो पंखे से लटकती दिखती है. सन्नी की मौत हो चुकी है. उसके गले में कुत्ते को बांधने वाली चेन है, जो उसके गले का फंदा बनी हुई है. बेड के बगल में रसोई गैस सिलेंडर है, जो जमीन पर गिरा हुआ है. देखने से ऐसा लगता है कि सिलेंडर पर चढ़ कर फांसी का फंदा लगाया गया है, फिर उसे पैर से मारकर जमीन पर गिरा दिया गया है.
पिता की टूट गयीं उम्मीदें
बेड पर दो टूटे हुए सिम कार्ड मिलते हैं, जो सन्नी कुमार के हैं. महंगा पलंग, खूबसूरत बेडशीट, टेबल पर रात का खाना- दो केले, दूध, दूसरी थाली में दाल, चावल, रोटी-सब्जी और अचार भी. तफतीश के बीच पिता और सन्नी के मामा राजू दोनों एक साथ वहां पहुंचते हैं. भीड़ देख गड़बड़ की आशंका. पिता को बताया गया कि शव पंखे में लटका हुआ था. उनकी उम्मीदें रेत की तरह हाथ से फिसल गयीं. वे चीख उठते हैं, यह साजिश है, आत्महत्या नहीं, हत्या हुई है. सबकुछ इस चहरादीवारी के अंदर हुआ है. हमें सब मालूम है… गुस्सा व बेबसी चेहरे पर दोनों मौजूद.
नीरज पर नजर
सन्नी की हत्या का राज खोलने में नीरज का अहम रोल हो सकता है. एसडीओ के आवास पर काम करनेवाले नीरज को सन्नी की हत्या से चार दिन पहले हटा दिया गया था. पुलिस को पता चला है कि उसे सब पता है. उसे हटाये जाने के पीछे भी खास वजह है. नीरज की तलाश चल रही है. उसे पता है कि सन्नी का किस महिला से अवैध संबंध था. उसने सन्नी के वायस रेकाॅर्ड को सुना था, वह उन फुटेज को भी देखा था, जो हत्या की वजह हो सकते हैं. उस महिला की तसवीर भी देखी है, जिसके साथ सन्नी ने फोटो खिंचवाया है.
कहां से आया पैसा
सन्नी की हत्या के बाद उसके बैंक एकाउंट में मिले 1.20 लाख रुपये भी पुलिस को उलझन में डाल रही है. उसकी तनख्वाह माह पांच हजार मासिक थी. इस मामूली आमदनी में बचत बहुत मुश्किल है. फिर भी 1.20 लाख रुपये उसने इकट्ठे किये हैं.कहां से आये पैसे? इसकी जाचं हो रही है़. हां, एक बात जरूर है कि सन्नी को छोटी बहन सुमन की शादी की चिंता थी. वह इसके लिए जल्द-से-जल्द अच्छा पैसा कमाना चाहता था. कहीं वह रास्ता तो नहीं भटक गया? कहीं पैसे के लिए किसी का गुलाम तो नहीं हो गया? ये सवाल उसकी हत्या से जुड़े हो सकते हैं.
उसके फ्रेंड सर्किल में बताया जा रहा है कि वह काफी दिनों से कुछ नशे की गोलियां खाता था. लोगों से कट कर रहता था. दबी जुबान से उसके दोस्त उसकी निजी जिंदगी के राज बताते हैं. फिलहाल पुलिस की पड़ताल इस हत्या का राज खोलने तक जारी है.
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