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भाजपा के 70 प्रत्याशी 10 हजार से अधिक वोटों से हारे

21 में 7 ही बाहरी जीते दीपक कुमार मिश्रा पटना : विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद भाजपा में चिंतन व सलाह का दौर शुरू हो गया है. दबी जुबान से ही सही पार्टी के नेता व कार्यकर्ता मानने लगे हैं कि हमलोग फील गुड व अति आत्मविश्वास के शिकार हो गये. पार्टी […]

21 में 7 ही बाहरी जीते
दीपक कुमार मिश्रा
पटना : विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद भाजपा में चिंतन व सलाह का दौर शुरू हो गया है. दबी जुबान से ही सही पार्टी के नेता व कार्यकर्ता मानने लगे हैं कि हमलोग फील गुड व अति आत्मविश्वास के शिकार हो गये. पार्टी नेता यह सोचकर परेशान है कि इतनी खराब स्थिति होगी, इसका अनुमान नहीं था. पार्टी के 70 उम्मीदवार 10 हजार से अधिक वोट से हारे.
दूसरे दल से आये जिन 21 लोगों के मैदान में उतारा गया, उसमें से सात ही जीत पाये. भाजपा ने चुनावी दंगल में 157 पहलवान उतारे थे, जिनमें 53 ही मैदान मार सके. बाकी 104 पटखनिया खा गये, जिसमें कई अपराजेय भी थे. पार्टी के रणनीतिकारों की सारी रणनीति फेल हो गया. दल के भीतर और बाहर मौजूदा प्रदेश नेतृत्व और चुनाव प्रबंधन से जुड़े दिल्ली के नेताओं पर पर भी सवाल उठने लगा है.
चर्चा है कि जल्द ही संगठन में बड़ा परिवर्तन होगा ओर कई नेताओं की या तो जिम्मेवारी बदल जायेगी या फिर उनकी विदाई होगी. चुनाव में मात खाये 104 में 70 एेसे हैं, जो 10 हजार से अधिक वोट से हारे हैं. दल के भीतर भितरघात की भी चर्चा शुरू हो गयी है. चुनाव प्रबंधन व रणनीति से जुड़े एक खास नेता, जिन्होंने अपने स्वजातियों को बड़ी संख्या में टिकट दिलवाये, उसमें न तो उम्मीदवार जीते और न ही अपनी जाति के वोट में ही सेंधमारी कर पाये.
पार्टी नेता व समर्थकों का मानना है कि संघ प्रमुख का बयान असमय आया और उसकी भरपायी में दल के बड़े नेताओं ने जिस तरह का राग अलापा. उससे भाजपा के कोर वोटर भी सुस्त पड़ गये. प्रधानमंत्री की ताबड़तोड़ रैली और भाजपा अध्यक्ष अमित साह के माइक्रो मैनेजमेंट के साथ ही प्रदेश के तीन बड़े नेता का अपना प्रभाव भी नहीं दिख पाया.
कार्यकर्ताओं ने कहा, आनेवाले समय में भाजपा को अलने कोर वोटर के समेटे रखने कि लिए भी कड़ी मेहनत करनी होगी, क्योंकि उसे अब विकल्प दिखने लगा है. टिकट वितरण में भाजपा का सामाजिक समीकरण का गणित भी गलत हो गया. भाजपा नेता इस खुशफहमी में जी रहे थे के सरकार तो उनकी बनेगी.
इसलिए कुछ नेता अपने रास्ते की बाधा को दूर करनें में भी लगे थे. अघोषित ही सही लेकिन एक नेता को हरियाणा के मनोहर लाल ठक्कर की तरह प्रचारित किया गया. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय के कहा कि हमसे बड़ा सामाजिक गोल महागंठबंधन का रहा, इसलिए वे चुनाव जीत गये.

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