वीएस दुबे
पूर्व मुख्य सचिव
बिहार व झारखंड
यह जनादेश नीतीश के पक्ष में है. इसके सम्मान के लिए विकास की गति को और तेज करना चाहिए. नीतीश कुमार अनुभवी और ईमानदारी हैं. मेरा मानना है कि उन्हें अपनी प्राथमिकता तय करनी चाहिए और तीन माह से तीन साल तक की कार्य योजना बनानी चाहिए. पहली प्राथमिकता कृषि को मिलनी चाहिए.
इसके तहत निश्चित सिंचाई की व्यवस्था करनी चाहिए. बिहार की दो पुरानी योजनाओं पश्चिमी कोसी सिंचाई परियोजना और दूसरी पूर्वी गंडक सिंचाई परियोजना को पूरा कर यह व्यवस्था की जा सकती है. इन परियोजनाओं से करीब 10 लाख एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकेगी और बिहार में 20 लाख टन अतिरिक्त खाद्यान का उत्पादन होगा. यानी एक हजार से 15 सौ करोड़ रुपये की अतिरिक्त खुशहाली राज्य में आयेगी. इससे राज्य आर्थिक रूप से समृद्ध होगा. दो-ढ़ाई साल इन्हें पूरा किया सकता है.
दूसरा काम किसानों को समय पर खाद और बीज उपलब्ध कराने की व्यवस्था.बाकी काम किसान खुद कर लेंगे. दूसरी प्राथमिकता बिजली होनी चाहिए. अगले एक साल में राज्य के सभी गांवों में बिजली पहुंचे और लोगों को 24 घंटे बिजली मिले. बिजली उत्पादन में राज्य को आत्मनिर्भर के लिए बरौनी थर्मल पावर स्टेशन को चालू कराना होगा और इमामगंज पावर स्टेशन का काम प्राथमिकता के आधार पूरा करना होगा.
तीसरी प्राथमिकता सड़क और गंगा पुल हो. पहले तीन माह में दीघा-सोनपुर और मुंगेर गंगा रेल-सड़क पुल को चालू हो. एक से डेढ़ साल में आरा गंगापुल और बख्तियारपुर गंगापुल का निर्माण कार्य पूरा तथा छह माह से एक साल के भीतर बक्सर, भागलपुर व मोकामा गंगापुल व गांधी सेतु का जीर्णोद्धार हो. दो से तीन साल में हर जिले को फोन लेन सड़क से जोड़ा जाए. चौथी प्राथमिकता पर्यटन हो. इसके तहत रामायण और बौद्ध सर्किट को विकसिल किया जाना चाहिए. पांचवीं प्राथमिकता उद्योग को मिले.
सरकारी क्षेत्र की बंद पड़ी 13-14 चीनी मिलों, दरभंगा पेपर मिल, मोकामा बैगन फैक्ट्री तथा रोहतास इंडस्ट्रीज को फिर से चालू कराया जाना चाहिए. छठी प्राथमिकता उच्च और तकनीकी शिक्षा को मिले. सातवीं प्राथमिकता स्वास्थ्य बने. इन के अलावा पटना को आदर्श राजधानी बनाना चाहिए. इसके लिए दीघा-दीदारगंज गंगा फ्रंट रोड प्रजेक्ट को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना होगा.
(आरके नीरद से बातचीत पर आधारित)