सतीश तिवारी. एंकर बिक्रम हेडिंगबिक्रम विधानसभा क्षेत्र धान के कटोरा के लिए प्रसिद्ध है. वहीं लगभग दो दशक पहले खूनी संघर्ष के लिए चर्चित हुआ था. राघोपुर में सवर्ण जाति के लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इसके प्रतिक्रिया में हेबसपुर में बड़े संख्या में नरसंहार हुआ था. लेकिन, इसके बाद फिर कभी इस तरह का सामाजिक संघर्ष नहीं देखा गया. सामाजिक समीकरण क्षेत्र होने के बावजूद भी लोगों के बीच समरसता कायम रही. चुनाव में पूरे क्षेत्र में कहीं कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है. वोटरों ने बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया. इस क्षेत्र के संग्रामपुर, बेगवा, अमवां, सिकरिया, महजपुरा, अंधरा चौकी, उदरचक, पैनापुर, मोजक्का, करसा गांवो के बूथों पर सभी समाज के लोग बड़ी संख्या में वोट में शामिल हुए. बातचीत से पता चला कि विकास का कोई खास मुद्दा नहीं है उनके लिए नेता जी का चेहरा ही काफी है. तभी तो अपने चहेते उम्मीदवार को वोट करने के बाद अपने-अपने काम में मस्त देखे गये. वोटिंग करने के बाद अमवां में पेड़ की छावं में तास की चौकरी जमाये वोट की चर्चा में मशगूल देखे गये. रविदास समुदाय के लोगों में 65 वर्षीय महगू मोची ने बताया कि सबेरे ही वोट डाल आये है. पूछने पर कहा कि विकास तो कुछ नही हुआ फिर भी वोट दे दिये है किसे वोट दिये है, वह नहीं जानते है, कहते है चेहरा देख कर दिये हैं. सुरेंद्र मोची ने बताया की विकास नहीं होने से मूड हम लोगों का बदला है. चापाकल भी बड़े लोगों की जमीन में गाड़ने का काम हुआ. जबाब देने से ज्यादा उनका ध्यान अपने ताश के पत्तों पर अधिक रहता था, ताकि चाल न गड़बड़ हो जाय. हमने भी उन्हें ज्यादा तंग करना उचित नहीं समझा. भ्रमण के दौरान बूथ संख्या 91 पर वोटरों ने कहा कि जे हमारा के देखत ओकरे न देखतई ऐसे सामाजिक समीकरण को लेकर वोटरों में असमंजस भी दिखायी दिया. झलकियां बूथ संख्या 93, 94 महजपुरा में वोटरों में अव्यवस्था के कारण वोटर परेशान रहे धूप में वोट के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. बूथ संख्या 120 पडरियामा में चलने-फिरने से लाचार वोटर के लिए व्हील चेयर की व्यवस्था थी. पारा मिलीट्री फ़ोर्स वोटरों के सहयोग में मुस्तैद दिखायी दी. प्रशासन की चौकसी के कारण ही कहीं भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है.
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सतीश तिवारी. एंकर बक्रिम
सतीश तिवारी. एंकर बिक्रम हेडिंगबिक्रम विधानसभा क्षेत्र धान के कटोरा के लिए प्रसिद्ध है. वहीं लगभग दो दशक पहले खूनी संघर्ष के लिए चर्चित हुआ था. राघोपुर में सवर्ण जाति के लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इसके प्रतिक्रिया में हेबसपुर में बड़े संख्या में नरसंहार हुआ था. लेकिन, इसके बाद फिर […]
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