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बेहतर स्वास्थ्य के लिए महिलाओं को ‘उमंग’
अनुपम कुमारी पटना : थोड़े सस्ते और सुलभ. सुरक्षित और बेहतर स्वास्थ्य. कुछ इसी तरह के सोच के साथ महिलाएं अब अन्य महिलाओं को स्वस्थ करने चली हैं. ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, जाे आज भी मासिक चक्र के दौरान सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करती हैं. दानापुर, जनसौत पंचायत […]
अनुपम कुमारी
पटना : थोड़े सस्ते और सुलभ. सुरक्षित और बेहतर स्वास्थ्य. कुछ इसी तरह के सोच के साथ महिलाएं अब अन्य महिलाओं को स्वस्थ करने चली हैं. ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को जागरूक कर रही हैं, जाे आज भी मासिक चक्र के दौरान सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करती हैं.
दानापुर, जनसौत पंचायत की करीब 15 महिलाओं का एक ग्रुप सैनिटरी निर्माण करने में जुटा है, जो बाजार के महंगे ब्रांडेड सैनिटरी नैपकिन की तुलना में सस्ते दर की उमंग नामक सैनिटरी नैपकिन बना रही है.
खुद बनाती और बेचती हैं : ये महिलाएं दानापुर में बीते दो माह से लगी हैं. दानापुर पंचायत की करीब ये सभी महिलाएं प्रतिदिन स्वयं सैनिटरी नैपकिन बना कर उसकी पैकेजिंग कर रही हैं.
एक पैकेट में कुल दस पीस हैं. इसकी कीमत भी बाजार से बहुत कम 20 रुपये है. इसकी लागत 16.50 रुपये है. मात्र ढाई रुपये की प्रॉफिट के साथ महिलाएं इसे बेच रही हैं. इसके लिए वे मुहल्ले-मुहल्ले जाकर इसकी ब्रांडिग और सेलिंग कर रही हैं. साथ ही महिलाओं को इसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य संबंधी फायदों को भी बता रही हैं.
ये सभी महिलाएं नैपकिन बनाने का काम मैन्युअली कर रही हैं, क्योंकि मशीनरी के लिए पैसे नहीं हैं. इस कार्य में लगी अंजू केसरी बताती हैं कि 15 महिलाओं का ग्रुप है, जो इसे बना रहा है. प्रतिदिन 40 पैकेट बना रही है. ग्रामीण इलाकों में इसके प्रति जागरूकता का अभाव है. इससे महिलाएं इसे बेचने में भी अथक परिश्रम कर रही हैं.
अभी महिलाएं लो प्रॉफिट पर काम कर रही हैं. कई बार इसे लागत से भी कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है, पर जरूरी है कि महिलाएं पहले इसे इस्तेमाल करना सीखें.
कैनरा बैंक द्वारा मिली ट्रेनिंग
कैनरा बैंक द्वारा स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग के तहत करीब एक माह पूर्व 30 महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन निर्माण में ट्रेनिंग दी गयी है. इस कार्य में इनकी मदद स्वयंसेवी संस्था निदान द्वारा की जा रही है.
ये सभी महिलाएं बैंक द्वारा ट्रेनिंग लेने के बाद काम कर रही हैं. अभी पहले बैच की 15 महिलाएं ही इसे कर रही हैं. बैंकों द्वारा उन्हें ट्रेनिंग देने के अलावा बैंकों में लिंकेज भी कराया गया है. सभी महिलाओं के खातेे भी खुलवाये गये हैं. इसके अलावा उन्हें स्वरोजगार के लिए लोन आदि भी दी जा रही है.
जागरूकता कार्यक्रम में सामने आयी बात
निदान की सुनीता बताती हैं कि निदान द्वारा ग्रामीण इलाकों में वाटर एंड सैनिटेशन पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. इसमें महिलाओं द्वारा हाइजीन संबंधी कोई जानकारी नहीं पायी गयी.
खासकर वे मासिक चक्र के दौरान ऐसी चीजों का प्रयोग कर रही हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत ही बुरा है. ऐसे में उन्हें सस्ती दर में सैनिटरी नैपकीन मिल सके, इसके लिए जरूरतमंद महिलाओं को रोजागार संबंधी ट्रेनिंग दिलायी गयी. उन्हें कैनरा बैंकर से संपर्क कर ट्रेनिंग दिलायी गयी है.
कोट
बैंक द्वारा महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन निर्माण की ट्रेनिंग दी गयी है. ये सभी महिलाओं को बैंकों से लिंकेज भी कराया गया है. साथ ही लोन भी दिये जा रहे हैं, ताकि महिलाएं स्वरोजगार के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके.
– अर्चना कुमारी, सीइडी अधिकारी, कैनरा बैंक
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