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मोकामा विस ग्राउंड रिपोर्ट : विकास पर शांति-शांति, जाति पर शोर

मोकामा विस ग्राउंड रिपोर्ट : विकास पर शांति-शांति, जाति पर शोर – मोकामा विधानसभा में एक जाति विशेष पर सारा जोर – सभी पार्टियों का लक्ष्य एक, चुनावी नारों में भी नहीं दिखता विकास का नारा रविशंकर उपाध्याय, पटना विकास? वो किस बला का नाम है साहब, यहां सब कुछ जाति से शुरू होता है […]

मोकामा विस ग्राउंड रिपोर्ट : विकास पर शांति-शांति, जाति पर शोर – मोकामा विधानसभा में एक जाति विशेष पर सारा जोर – सभी पार्टियों का लक्ष्य एक, चुनावी नारों में भी नहीं दिखता विकास का नारा रविशंकर उपाध्याय, पटना विकास? वो किस बला का नाम है साहब, यहां सब कुछ जाति से शुरू होता है और जाति पर ही खत्म. मोकामा के थाना चौक पर जैसे ही आप मोलदियार टोला के बाल्मिकी सिंह, सिद्धार्थ कुमार और रोशन कुमार से मिलते हैं तो चुनाव में विकास का मुद्दा दूर की कौड़ी लगता महसूस होता है. यदि आप विधानसभा के उम्मीदवारों की सूची देख लें तो फिर आपको भी लगेगा कि राजनीतिक दलों ने भी जाति की कसौटी पर ही मोकामा को कसा है. पांच उम्मीदवार एक जाति विशेष से हैं. सब की चाहत बस एक कि उस जाति का वोट मिल जाये और उनकी चुनावी नैया बेड़ापार हो जाये. किसी को भी मतलब नहीं है कि उनका उम्मीदवार ऐसा हो जो मोकामा टाल में दाल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए रणनीति बनाए, लोगों को रोजगार दे और एक कॉलेज विहीन प्रखंड में उच्च शिक्षा का दीपक जलाए. यहां के ज्यादातर लोग एक उम्मीदवार विशेष में रॉबिनहुड की छवि देखते हैं. उन्हें लगता है कि वह रॉबिनहुड ही इलाके में उसकी रक्षा करेगा, इस कारण बाकी सब उनकी उम्मीद के आइने से साफ तौर पर बाहर हैं. घोसवरी के एक शिक्षक भोला स्थान के पास मिल जाते हैं, नाम नहीं बताने की शर्त पर वे कहते हैं कि दुनिया के लिए एक आदमी भले खराब दिखता है लेकिन उसके कारण हमारे इलाके में अपराधियों के साथ मनमानी करने वाले अधिकारियों पर भी लगाम लगी रहती है. टाल में गुंडे तंग नहीं करते है. उनसे पांच किमी पहले मोकामा बाजार के खास महाल दस नंबर वार्ड में रहने वाले 83 वर्षीय रामदेव सिंह की भी यही राय थी. वे कहते हैं कि देखिए यहां ऐसे लोगों को चुनना है जो बाकियों से आपकी रक्षा कर सके. मुख्यमंत्री नीतीश सबसे योग्य हैं, उनकी तुलना में कोई भी ईमानदार नहीं है लेकिन उन्होंने ऐसे नेता के साथ समझौता किया जो हमारे हिसाब से ठीक नहीं है और हम इसी वजह से उनके विरोध में है. सत्ताधारी दल से खड़े उम्मीदवार के पड़ोसी बाल्मिकी सिंह कहते हैं कि एक साहब एमएलसी बने तो पटना के ही नेता हो गए, मोकामावासियों की उन्होंने सुध भी नहीं ली. कभी मोकामा टाल हत्याओं के लिए बदनाम था, 250 से ज्यादा मर्डर हुए थे लेकिन दस सालों से सब बंद हो गया है. हमें और क्या चाहिए? सिद्धार्थ की उम्र बीस साल के आसपास थी, उसने फिर अपनी बात जोड़ी. कहने लगा कि कई पार्टियों के कैडर भी इसी कारण दूसरे को वोट देने का मन बना चुके हैं क्योंकि कोई विकल्प नहीं है. हालांकि इन सबके बीच टाल क्षेत्र की अपनी परेशानी है, जिसकी बात कोई नहीं कर रहा. यहां दूसरी जाति विशेष ज्यादा है, यदि इसने अपनी चाल बदली तो चुनावी तसवीर कुछ दूसरी भी हो सकती है.क्या है मुद्दा? – शिक्षा की हालत खस्ता, घोसवरी प्रखंड में एक भी कॉलेज नहीं – अस्पताल में नहीं हो पाता है इलाज, दवाई भी नहीं मिलती- प्रखंड-अंचल और थाने में चरम पर है घूसखोरी – मुहाने नदी पर नहीं बना बांध, फसल होती है तबाह – दलहन की खेती को नहीं मिला प्रोत्साहन कुल वोटर : 2,52,923पुरुष वोटर : 1,36,729महिला वोटर : 1,16,193थर्ड जेंडर : 01वर्ष 2010 का परिणामवर्तमान विधायक : अनंत सिंह, जदयू (51564)प्रमुख प्रतिद्वंद्धी : सोनम देवी, लोजपा (42610)जीत का अंतर : 8954इस बार कुल 15 प्रत्याशी नीरज कुमार, जदयूकन्हैया कुमार सिंह, लोजपाअनंत कुमार सिंह, निर्दलीयदेव नारायण सिंह, सपा

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