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उम्र कोई भी हो, औरत का शोषण होता ही है

उम्र कोई भी हो, औरत का शोषण होता ही हैलाइफ रिपोर्टर. पटनाबिहार विधानसभा चुनाव के मौके पर भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) द्वारा 12 से व्यंग्य नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसके अंतिम दिन बुधवार को कालिदास रंगालय में दो नाटकों का मंचन हुआ. पहला नाटक था तनवीर अख्तर द्वारा निर्देशित ‘औरत’ व […]

उम्र कोई भी हो, औरत का शोषण होता ही हैलाइफ रिपोर्टर. पटनाबिहार विधानसभा चुनाव के मौके पर भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) द्वारा 12 से व्यंग्य नाट्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इसके अंतिम दिन बुधवार को कालिदास रंगालय में दो नाटकों का मंचन हुआ. पहला नाटक था तनवीर अख्तर द्वारा निर्देशित ‘औरत’ व दूसरा नाटक था पीयूष सिंह द्वारा निर्देशित ‘नंगा राजा’. औरतधारावाहिक के रूप में नाटक ‘औरत’ जीवन के कई रंगों को दिखाता है. नाटक की शुरुआत सफदर हाश्मी द्वारा हिंदुस्तानी भाषा अनुवादित इरानी शिक्षिका मारजिया अहमद ओस्काई की कविता ‘मैं एक औरत हूं’ से होती है. नाटक में एक बाप बेटी को स्कूल जाने से रोकता है. लड़की थोड़ी बड़ी होती है, तो ब्याह दी जाती है. थोड़ी और बड़ी होती है, तो गोद में बच्चा आ जाता है और पति के द्वारा पिटाई भी सहती है. कॉलेज में पढ़ाई में भौतिकी लेना चाहती है, पर परिवार वाले होम साइंस लेने के लिए दबाव बनाते हैं. कॉलेज जाने के दौरान छेड़खानी का शिकार होती है. नौकरी के लिए साक्षात्कार के समय छेड़खानी होती है और फैक्ट्री में मजबूर के रूप में काम करते हुए दुगना काम, कम वेतन और मालिक की दबंगई का शिकार बनती है. तंग आ कर विद्रोह करती है और अन्य मजदूर भी उसका साथ देते हैं. इस नाटक में सभी महिला कलाकार थे. इनके नाम हैं अमृता भारती, पूजा अभिषेक, छाया रंजत, रुकमिणी कुमारी, रूपा कुमारी करूणा कुमारी, ममता कुमारी और आरती. नंगा राजाअरनाखेड़ा के राजा रेशमलाल अपने पहनावे को लेकर काफी सजग रहते हैं. पड़ोसी मुल्क के बादशाह कवाबशरीफ अरनाखेड़ा आते हैं और फ्रेंडली फैंसी, फैशन ड्रेस कंपीटीशन करते हैं. इस कंपीटीशन में जीतने के लिए राजा रेशमलाल कई राज्यों से दर्जी बुलवाते हैं, पर उन्हें कोई ड्रेस पसंद नहीं आता है. तीन ठग मल्टीनेशनल फैशन डिजाइनर बन कर आते हैं और करोड़ों रुपये लेकर जादू का सूट बनाते हैं. ऐसा सूट जो दिखता नहीं है, जिसे पहन कर राजा बाजार में घूमता है और बादशाह कवाबशरीफ से मिलता है. दोनों राजा एक ही तरह के ठग द्वारा ठगे जाते हैं. अर्थात दोनों राजा भरे बादार में नगे खड़े रहते हैं. इस नाटक के कलाकार थे प्रमोद कुमार, दीपक कुमार, मदन मोहन, अखिल मल्होत्रा, निर्भय, त्रिगुण, कुंदन, मोहित, करूणा व अन्य.

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