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नमो से जल रहे लालू-नीतीश : मोदी
क्या शोधार्थी डाक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह बता सकते हैं कि किस काल में कौन-कौन ऋषि गोमांस खाते थे. दुर्भाग्यवश लालू प्रसाद की भक्ति के बावजूद पार्टी ने कभी उनमें सीएम मैटीरियल नहीं देखा. उन्हें तो इंटर और नौवीं पास युवराजों को ट्यूशन पढाने के लायक समझा गया है. नरेंद्र मोदी के रूप में देश को […]
क्या शोधार्थी डाक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह बता सकते हैं कि किस काल में कौन-कौन ऋषि गोमांस खाते थे. दुर्भाग्यवश लालू प्रसाद की भक्ति के बावजूद पार्टी ने कभी उनमें सीएम मैटीरियल नहीं देखा. उन्हें तो इंटर और नौवीं पास युवराजों को ट्यूशन पढाने के लायक समझा गया है.
नरेंद्र मोदी के रूप में देश को पहली बार ऐसा प्रधानमंत्री मिला है, जिसे सुनने के लिए सिलिकन वैली ;अमेरिका से लेकर सासाराम तक और ब्राजील से बांका तक उत्साह चरम पर है. नमो की लोकप्रियता से जले लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का संतुलन बिगड़ गया है. उनकी जुबान लड़खड़ा जाती है या उस पर शैतान बैठ जाता है. लालू प्रसाद को साथ लेकर नीतीश बिहार में एक भी कारखाना नहीं लगवा सकते.
महागंठबंधन तो सड़कों पर बेगुनाहों का खून बहाने और गांवों में शराब का दरिया बहाने का लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए वोट मांग रहा है. बिहार में गोहत्या पर रोक का कानून 60 साल पुराना हो चुका है, जबकि गोमांस का धंधा करने वाले पहले से ज्यादा संगठित और शातिर हो गए हैं.
नीतीश कुमार में अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो वे गोवंशीय पशुओं की हत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया कानून बनाने का वादा करें. क्या वे इस मुद्दे को भावना के बजाय कृषि रोडमैप से नहीं जोड़ सकते.
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