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खुद जेल में, रिश्तेदारों पर लगाया दावं
बिहार विधानसभा चुनाव में बाहुबलियों को टिकट देने में कोई दल पीछे नहीं है. जो बाहुबली तकनीकी कारणों की वजह से खुद चुनाव में नहीं उतर पाये हैं, उन्होंने अपने रिश्तेदारों को उतार दिया है. बाहुबलियों को सबसे ज्यादा ठौर एनडीए की सहयोगी लोजपा में मिली है. पहले के चुनावों में भी बाहुबली चुनाव जीतते […]
बिहार विधानसभा चुनाव में बाहुबलियों को टिकट देने में कोई दल पीछे नहीं है. जो बाहुबली तकनीकी कारणों की वजह से खुद चुनाव में नहीं उतर पाये हैं, उन्होंने अपने रिश्तेदारों को उतार दिया है.
बाहुबलियों को सबसे ज्यादा ठौर एनडीए की सहयोगी लोजपा में मिली है. पहले के चुनावों में भी बाहुबली चुनाव जीतते रहे हैं. 2005 के मुकाबले 2010 में उनकी संख्या में इजाफा हुआ है.
विधानसभा चुनाव में बाहुबली छवि के नेता तो उतरे ही हैं, जेल में बंद बाहुबलियों के कई रिश्तेदार भी इस बार किस्मत आजमा रहे हैं. बाहुबलियों या उनके रिश्तेदारों को सबसे ज्यादा एनडीए में ठौर मिली है.
आरा बम ब्लास्ट में जेल में बंद विधायक सुनील पांडेय खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. पिछले चुनाव में वह भोजपुर जिले के तरारी सीट से जद यू के टिकट पर जीते थे. इस बार यहां से उनकी पत्नी गीता पांडेय लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी. एनडीए में सीट बंटवारे में तरारी सीट लोजपा के खाते में गयी है. सुनील पांडेय को जद यू ने टिकट नहीं दिया है. उन्होंने पहले खुद ही लोजपा के टिकट पर यहां से प्रत्याशी बनने की तैयारी की थी.
लेकिन, भाजपा ने इस पर कड़ा एतराज जताया. बताया जाता है कि भाजपा के सांसद आरके सिंह भी इसके पक्ष में नहीं थे. इसके बाद बीच का रास्ता निकाला गया. सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय को लोजपा में विधिवत शामिल कराने की तैयारी हो गयी है. यदि वह चुनाव में उतरती हैं, तो उनका मुकाबला कांग्रेस के डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह से होगा. भाकपा माले ने भी यहां प्रत्याशी खड़ा किया है.
आइएएस जी कृष्णैय्या हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शिवहर से हिंदुस्तान अवाम मोरचा (हम) के टिकट पर चुनाव में उतरी हैं. लवली आनंद पिछली बार आलमनगर से कांग्रेस के टिकट पर खड़ी थीं, लेकिन हार गयी थीं.
शहाबुद्दीन रेस से बाहर
सीवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का कोई रिश्तेदार चुनाव में नहीं उतरा है. उन्हें सीवान जेल से भागलपुर ट्रांसफर कर दिया गया है. पिछले दो लोकसभा चुनाव में उनकीपत्नी हीना शहाब चुनाव लड़ी थीं. राजन तिवारी के भाई राजू तिवारी को लोजपा ने गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र से उतारा है.
पूर्व विधायक राजन तिवारी के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और वे जेल में हैं. लोजपा से ही पूर्व सांसद सूरजभान के भाई कन्हैया सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. उनके एक दूसरे रिश्तेदार रमेश राय को विभूतिपुर से टिकट दिया गया है. कुचायकोट से लोजपा के प्रत्याशी काली पांडेय की गिनती एक जमाने में बाहुबली नेता के रूप में होती थी. उनकी टक्कर जदयू के अमरेंद्र कुमार पांडेय से होने वाली है, जिन पर कई मुकदमे दर्ज हैं.
वैसे जद यू, राजद व कांग्रेस के महागंठबंधन ने भी बाहुबलियों या उनके रिश्तेदारों को टिकट देने में उदारता दिखायी है. बनियापुर से सांसद प्रभुनाथ सिंह के भाई केदार सिंह प्रत्याशी हैं. वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं. एकमा से मनोरंजन सिंह उर्फ धूमल सिंह लंबा वक्त जेल में गुजार चुके हैं.
जद यू ने दरौंदा से एक बार फिर अजय सिंह की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिया है. राजद ने बिजेंद्र यादव के भाई अरुण यादव को संदेश से उतारा है. पिछले चुनाव में लालगंज से मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला जदयू से चुनाव लड़कर जीती थीं. इस बार वह खुद ही जद यू के प्रत्याशी हैं. बेउर जेल में बंद रीतलाल यादव के भाई पिंटू यादव ने दानापुर से लड़ने की घोषणा की है.
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