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पटना वीमेंस कॉलेज का एक और बड़ा कारनामा, बीएड नामांकन में गड़बड़ी

पटना: पटना वीमेंस कॉलेज पटना विवि के अंतर्गत ही आता है, लेकिन कॉलेज के सारे रुल्स और रेगुलेशन अपने हैं. विवि की बात तो वे नहीं ही मानते हैं, एनसीटीइ (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन) और राजभवन के निर्देशों व नियमों का भी कॉलेज प्रशासन के लिए कोई मतलब नहीं है. यही वजह है कि […]

पटना: पटना वीमेंस कॉलेज पटना विवि के अंतर्गत ही आता है, लेकिन कॉलेज के सारे रुल्स और रेगुलेशन अपने हैं. विवि की बात तो वे नहीं ही मानते हैं, एनसीटीइ (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन) और राजभवन के निर्देशों व नियमों का भी कॉलेज प्रशासन के लिए कोई मतलब नहीं है.

यही वजह है कि बीएड में सिलेबस, रेगुलेशन व एडमिशन आॅर्डिनेंस की स्वीकृति के बिना ही पटना वीमेंस कॉलेज ने न सिर्फ बीएड में एडमिशन ले लिया, बल्कि उसकी पढ़ाई भी शुरू करवा दी. दो सितंबर को राजभवन से रेगुलेशन, सिलेबस और एडमिशन ऑर्डिनेंस का नोटिफिकेशन वेबसाइट पर आया, लेकिन दो माह पूर्व जुलाई में ही कॉलेज ने नामांकन लेकर उसकी पढ़ाई शुरू करवा दी. एनसीटीइ 2014 गाइडलाइन के अनुसार यह सख्त निर्देश है कि बिना नये सिलेबस को लागू किये कोई भी संस्था बीएड कोर्स नहीं चला सकती. लेकिन, पटना वीमेंस कॉलेज ने नियमों को ताक पर रख कर एडमिशन ले लिया, जबकि पटना विवि के ही अन्य दूसरे कॉलेज जहां बीएड की पढ़ाई होती है, वहां एडमिशन इसी वजह से रुका हुआ है. यही नहीं, मगध विवि ने तो बाकायदा सार्वजनिक रूप से नोटिस निकाल कर सभी कॉलेजों के बीएड में नामांकन पर रोक लगायी हुई है. इसी प्रकार दूसरे अन्य विवि व कॉलेजों में भी नामांकन रुका था. लेकिन इस कॉलेज ने अपनी मनमानी की पूरी सीमा रेखा पार कर दी.

अपनी मरजी से पढ़ा रहे पुराना पाठ्यक्रम
कॉलेज की मनमानी का आलम यह है कि एक ओर जहां राजभवन में दो वर्षीय सिलेबस (पाठ्यक्रम) को नया रूप दिया जा रहा था, वहीं अपनी मर्जी से यहां पुराने पाठ्यक्रम को ही पढ़ाया जा रहा था. एनसीटीइ के निर्देशों की तो इन्होंने जरा-भी परवाह नहीं की, जबकि एनसीटीइ ने साफ कहा था कि इन निर्देशों को नहीं माननेवाले कॉलेजों के कोर्स की मान्यता समाप्त भी की जा सकती है. बावजूद इसके कॉलेज अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है और इसके पीछे तरह-तरह के तर्क भी दे रहा है.
काॅर्डिनेटर ने हर बार दिया नया तर्क
पटना. प्रभात खबर ने एक माह पहले भी कॉलेज की बीएड काॅर्डिनेटर उपासना सिंह से इस मुद्दे पर सवाल किया था, उस समय उन्होंने यह कहते हुए बात को टाल दिया कि पीयू की एकेडमिक काउंसिल से सिलेबस को एप्रुवल मिल चुका है. जब प्रभात खबर ने कहा कि सिलेबस को राजभवन से एप्रुवल जरूरी है, तो उन्होंने कहा कि वे तो सिर्फ बेसिक ही पढ़ा रही हैं, जो सभी बीएड कोर्स में पढ़ना है. जब एप्रुवल मिलेगा, तो उसे लागू कर देंगे. रविवार को भी प्रभात खबर ने जब उनसे यह सवाल पूछा तो इस बार उन्होंने कहा कि राजभवन से तो दो सितंबर को ही राजभवन से रेगुलेशन, सिलेबस और एडमिशन आॅर्डिनेंस के लिए स्वीकृति मिल गयी है. हम उसी को फॉलो कर रहे हैं.
जब उनसे यह पूछा गया कि दो सितंबर को रेगुलेशन बना तो आप पहले से ही कोर्स कैसे करा रही हैं, तो इस पर वे उखड़ गयीं. जब उनसे यह पूछा गया कि राजभवन के द्वारा सभी विवि के द्वारा कॉमन एंट्रेंस टेस्ट लेने का निर्देश दिया गया है, तो उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक कॉलेज होने के नाते उनको राजभवन से इस बात की स्वीकृति पत्र प्राप्त है कि वह अपना एंट्रेंस टेस्ट अलग ले सकता है, जबकि नये नियम के तहत सभी विवि को कॉमन एंट्रेंस टेस्ट और काउंसलिंग के बाद ही नामांकन लेना है. ऐसे में फिर नये नियम और नये रेगुलेशन का क्या मतलब है, समझ से परे है. यहां यह सवाल अब भी कायम है कि जब सिलेबस, एडमिशन आॅर्डिनेंस और रेगुलेशन दो सितंबर को बना, तो उसे पहले से कैसे फॉलो किया जा रहा था. इसका जवाब कॉर्डिनेटर के पास नहीं है.

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