पटना : नेपाल के बाढ़ नियंत्रण कक्ष से बिहार के 11 बाढ़ नियंत्रण कक्ष अत्याधुनिक वायरलेस सेट्सों से सीधे जुड़ गये हैं. अब बाढ़-दहाड़ की सूचनाएं पलक झपकते ही बिहार के बाढ़ नियंत्रण कक्षों को वायरेस सेट्सों से मिलेगी. जल संसाधन विभाग ने सभी बाढ़ नियंत्रण कक्षों को अत्याधुनिक वायरलेस सेट्सों से लैस करने पर 18. 17 लाख रुपये खर्च किये हैं.
बिहार में फिलहाल कोसी, बागमती, महानंदा और बूढ़ी गंडक में बाढ़ नेपाल की नदियों की वजह से ही आ रही है. एक सप्ताह पहले ही नेपाल की नदियों की वजह से सहरसा और मोतिहारी में बाढ़ का पानी घुस आया था. शुक्र था कि बाढ़ का पानी 48 घंटे में निकल गया, किंतु अभी भी नेपाल की नदियों की बाढ़ से सीमावर्ती जिलों में खतरा बना हुआ है. बाढ़-दहाड़ के खतरे से निबटने के लिए जल संसाधन विभाग ने तटबंधों पर होमागार्ड के जवान तो तैनात किये ही हैं, अन्य तैयारियां भी की है.
जल संसाधन विभाग के समस्तीपुर, वीरपुर, दरभंगा, पूर्णिया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, वाल्मिकी नगर, सीवान, गया और डिहरी के बाढ़ नियंत्रण कक्ष अत्याधुनिक वायरलेस सेट्सों और पावर बैटरियों से लैस किये गये हैं. नेपाल ने अपनी सीमा पर भीम नगर, कुसहा, बगहा, फुलटेगौड़ा, राजाबास हौर हवा महल में बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाये हैं. जल संसाधन विभाग ने नेपाल से बिहार के बाढ़ नियंत्रण कक्षों को जोड़ने के लिए अपने पुराने और जर्जर हो चुके 317 वायरलेस सेट्सों को बदला है. यही नहीं, बिहार के केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष को भी अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया गया है.