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भाई-भतीजावाद वाले पासवान दलितों के नेता कैसे : मांझी

पटना : दलितों की लीडरशिप के सवाल पर एनडीए के दो घटक दल लोजपा और हम (सेक्यूलर) खुल कर आमने-सामने आ गये हैं. हम (सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर पलटवार किया. मांझी ने कहा कि भाई-भतीजावाद […]

पटना : दलितों की लीडरशिप के सवाल पर एनडीए के दो घटक दल लोजपा और हम (सेक्यूलर) खुल कर आमने-सामने आ गये हैं. हम (सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंगलवार को लगातार दूसरे दिन लोजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर पलटवार किया.
मांझी ने कहा कि भाई-भतीजावाद के दायरे में रहनेवाले पासवान अपने को किस आधार पर राष्ट्रीय दलित नेता कहते हैं. अपने सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस पर मांझी ने कहा कि दलितों के मुद्दे पर चुप्पी साधे रहने वाले पासवान ने उस समय भी चुप रहे, जब महादलित से उनकी जाति को अलग रख गया. मांझी ने रामविलास पासवान को पासवान जाति का नेता मानने से इनकार करते हुए कहा कि जिस समय महादलित में पासवान जाति को नहीं शामिल किया गया, उस समय मैं और छेदी पासवान ने आवाज उठायी थी.
दरअसल चार दिन पूर्व एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में रामविलास पासवान ने मांझी के संदर्भ में पूछे गये सवाल के जवाब में कहा था कि जीतन राम मांझी एनडीए में अभी ट्रायल पर हैं. पासवान ने अपने को राष्ट्रीय स्तर का एकमात्र दलित नेता और मांझी का राज्य स्तर का नेता बताया था. साथ ही कहा था कि मेरी तुलना मांझी से नहीं की जा सकती है. मांझी की नाराजगी इसी बात को लेकर है. मांझी ने साफ शब्दों में कहा, मैं सीएम पद का दावेदार नहीं हूं. यह बात मैंने नरेंद्र मोदी से कह दी है. मैंने बिना किसी शर्त समर्थन दिया है. लेकिन, एनडीए में मेरी पार्टी को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला, तो इसका घाटा भाजपा और एनडीए को होगा. पासवान को कोई नुकसान नहीं होगा.
मांझी ने कहा कि पासवान अपने को राष्ट्रीय नेता कहते हैं . हम तो उन्हें राष्ट्रीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय नेता मानते हैं. लेकिन, उनकी बुद्धि पर तरस आती है. उन्होंने कहा था कि मैं ट्रायल पर हूं. इसको लेकर उनकी क्या भावना है और ट्रायल का क्या मतलब है, में नहीं जानता. मैं 1980 से विधायक, मंत्री और सामाजिक कार्यकर्ता रहा हूं. मुख्यमंत्री का भी कुछ दिन काम करने का मौका मिला, तो क्या यह ट्रायल पिरीयड है और अगर यह ट्रायल पिरीयड है, तो वे मुंह मियां मिठ्ठू बन कर अपने को राष्ट्रीय नेता कह रहे हैं. किस आधार पर वे खुद को राष्ट्रीय नेता कहते हैं?
मांझी ने कहा कि दलितों को आवास के लिए तीन डिसमिल जमीन या बदले में महज 20 हजार रुपये दिये जा रहे थे, इस पर उन्होंने कुछ नहीं बोला. हमने पांच डिसमिल जमीन और बाजार भाव से राशि देने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि इसी बिंदु पर दलितों के नेता का आकलन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान तो पासवान जाति के भी नेता नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो नीतीश कुमार द्वारा किये गये पापों को धोया और पासवान जाति को भी महादलित में शामिल किया. उन्होंने कहा कि हम रामविलास जी से कहना चाहते हैं कि आप अंतरराष्ट्रीय नेता बन जाइए, लेकिन आपकी जो कार्य पद्धति है, उसमें आप बेटा और भाई से अलग नहीं हो पा रहे हैं. उन्‍होंने नसीहत दी कि आप अपनी पार्टी का स्वरूप भाई, भतीजा व बेटा की परिधि से बाहर निकालिये. हम इसके लिए आपकी प्रशंसा करेंगे. हम आपको राष्ट्रीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय नेता मानते हैं.
मांझी यहीं नहीं चुप रहे. उन्होंने कहा कि हमारे 18 विधायक में से पांच विधायक स्वेच्छा से अन्य पार्टी में गये. 13 विधायक हमारे साथ हैं. हम उनके लिए कहा था कि हमारे जो 13 विधायक जहां से सीटिंग हैं, उनके उन सीटों पर कोई समझौता नहीं होगा. हमने ऐसा नहीं कहा था कि हमें सिर्फ 13 सीटें चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि मेरी बातों को दूसरे रूप में पेश किया गया. उन्होंने कहा कि हमारे 13 विधायक हैं, पर पासवान के एक भी विधायक नहीं हैं. अगर उन्हें 25 सीटें मिलती हैं, तो हमें कितनी सीटें मिलनी चाहिए, यह भाजपा और राजग वाले तय करें. उन्होंने यह कहा कि वह बिना किसी शर्त के एनडीए में शामिल हुए.
मुसलमान लालू-नीतीश के झांसे में नहीं आएं
मांझी ने कहा कि प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की स्थिति चिंताजनक है, मदरसा के शिक्षक अपने वेतन की मांग करते हैं तो उन पर लाठियां बरसायी जाती हैं. नीतीश और लालू, जो अल्पसंख्यकों के वोट का सौदागर बने हुए हैं, इनको इस पर कुछ बोलना चाहिए. हम मुसलमान भाइयों से कहना चाहते हैं कि आप नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के झांसे में नहीं आइए.

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