पटना : विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने राजभवन के पास सांख्यिकी स्वयंसेवक की आत्मदाह की कोशिश और कलाई काटने की घटना को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर काफी समय से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन नीतीश सरकार कोई फैसला नहीं कर पा रही है.
सरकार के अनिर्णय और असंवेदनशील रवैये के कारण इस तरह की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी और सांख्यिकीकर्मियों को आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा. यादव ने सांख्यिकी कर्मियों से संयम की अपील करते हुए कहा कि बिहार के युवाओं की जान बेहद कीमती है. भाजपा पहले भी सरकार के सामने उनकी मांगों को उठाया है. उन्होंने भरोसा दिया कि राजग की सरकार बनी तो निश्चित रूप से सम्मानजनक रास्ता निकालेगा.
जदयू सरकार ने सांख्यिकी स्वयंसेवकों के अनशन के वक्त उनके प्रतिनिधिमंडल को मांगों पर विचार करने का भरोसा दिया था. इस भरोसे के बाद ही सांख्यिकी स्वयंसेवकों का अनशन खत्म हुआ था, लेकिन इसके बाद सरकार ने कुछ नहीं किया. अब तो खुद मुख्यमंत्री ही इन कर्मियों को सड़क पर ला देने की धमकी दे रहे हैं. समस्तीपुर में जब मुख्यमंत्री के सामने सांख्यिकी स्वयंसेवकों ने बकाया वेतन भुगतान की मांग की तो मुख्यमंत्री उन्हें डराने-धमकाने पर उतर आये.
जब सरकार के मुखिया का रवैया ही इस तरह का हो तो स्वयंसेवकों का निराश होना स्वाभाविक है. वेतनमान और स्थायी नौकरी की मांगें तो दूर की बात इन स्वयंसेवकों को बकाया वेतन तक नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की कैबिनेट ने वेतनमान समेत सांख्यिकी स्वयंसेवकों की अन्य मांगों पर एक कमेटी बनाने का फैसला लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही जदयू सुप्रीमो ने उनके फैसलों को रद्द कर दिया. सांख्यिकी कर्मियों को संविदा पर बहाल किया गया था और इन्होंने वोटर लिस्ट बनाने व सुधार, जनगणना, आधार कार्ड बनाने समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में जिम्मेदारी निभायी थी.
यादव ने कहा कि नीतीश कुमार की सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि वह खुद कोई फैसला ही नहीं ले पाते. जदयू सरकार बिना लाठी-गोली चलवाए, किसी की बात ही नहीं सुनती.