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नहीं सुलझा पुलिसवालों का ग्रेड-पे का मामला
गृह विभाग मांगों पर नहीं कर रहा कोई ठोस फैसला पटना. राज्य के पुलिसकर्मियों को सरकार ने 13 महीने का वेतन और 20 दिनों का आकस्मिक अवकाश तो दे दिया. परंतु अभी भी इनकी सबसे महत्वपूर्ण मांग अटकी हुई है. इसके कारण पुलिसकर्मी अभी तक संतुष्ट नहीं हो पाये हैं. इनका असंतोष थोड़े दिनों के […]
गृह विभाग मांगों पर नहीं कर रहा कोई ठोस फैसला
पटना. राज्य के पुलिसकर्मियों को सरकार ने 13 महीने का वेतन और 20 दिनों का आकस्मिक अवकाश तो दे दिया. परंतु अभी भी इनकी सबसे महत्वपूर्ण मांग अटकी हुई है. इसके कारण पुलिसकर्मी अभी तक संतुष्ट नहीं हो पाये हैं. इनका असंतोष थोड़े दिनों के लिए ठंडा जरूर हो गया है, लेकिन समाप्त दोनों मांगों की पूरी होने के बाद ही होगा. इसमें ग्रेड-पे तथा एसीपी से जुड़ा मसला सबसे अहम है.
इससे संबंधित मामले पर गृह विभाग कई महिनों से विचार ही कर रहा है. मामले पर कई बार चर्चा भी हुई. परंतु स्थिति जस की तस बनी रही. केंद्र सरकार ने 2006 से सभी कर्मचारियों को एमएसीपी (मोडिफायड एस्सयोर्ड कॉरियर प्रमोशन) के स्थान पर 10, 20 और 30 वर्ष की सेवा पूरी होने पर एसीपी देने का प्रावधान लागू किया था.
इसकी तर्ज पर राज्य सरकार ने वर्ष 2009 से सभी स्तर के राज्य कर्मचारियों को भी एसीपी देने की घोषणा की थी, लेकिन इसके इतर पुलिसकर्मियों को इसका लाभ मई 2013 से देने की घोषणा की गयी. गृह विभाग के इस फैसले का उसी समय से सभी पुलिसकर्मी विरोध करते आये हैं. इनकी मांग है कि इन्हें भी राज्य के अन्य वर्ग के कर्मचारियों की तरह ही सामान रूप से एसीपी दिया जाये. चार साल देर से एसीपी देने के कारण कई पुलिसकर्मी को इसका फायदा नहीं मिल पायेगा.
कई पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें तीन के स्थान पर दो एसीपी ही मिल पायेगा और वे रिटायर्ड हो जायेंगे. इसमें सुधार करने के लिए बिहार पुलिस एसोसिएशन और बिहार पुलिस मेन्स एसोसिएशन ने कई बार सरकार और गृह विभाग को ज्ञापन सौंप चुके हैं. परंतु अभी तक इनकी मांग पर कोई अमल नहीं हुआ है उचित मुआवजा के लिए करना पड़ रहा है आंदोलन
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