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राज्यपाल का कोई दल, जाति या धर्म नहीं होता : कोविंद
‘कबीर के लोग’ ने किया राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नागरिक अभिनंदन पटना : राज्यपाल का कोई दल, जाति या धर्म नहीं होता. वह अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करता है. बिहार का संवैधानिक मुखिया होने के नाते मैं अपनी भूमिका बखूबी समझता हूं. राज-भवन के दरवाजे हर बिहारियों के लिए खुले रहेंगे. उक्त बातें शुक्रवार को […]
‘कबीर के लोग’ ने किया राज्यपाल रामनाथ कोविंद का नागरिक अभिनंदन
पटना : राज्यपाल का कोई दल, जाति या धर्म नहीं होता. वह अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करता है. बिहार का संवैधानिक मुखिया होने के नाते मैं अपनी भूमिका बखूबी समझता हूं. राज-भवन के दरवाजे हर बिहारियों के लिए खुले रहेंगे. उक्त बातें शुक्रवार को राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कही.
वे ‘कबीर के लोग’ द्वारा अधिवेशन-भवन में आयोजित अपने नागरिक अभिनंदन समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि संविधान ने समाज के सभी वर्गों को शिक्षा और वोट देने का समान अधिकार दिया है, किंतु खेद है कि कमजोर वर्ग में इस अधिकार के सदुपयोग की चेतना नहीं आयी. समाज के कमजोर वर्ग ने शिक्षा के महत्व को नहीं समझा.लोगों को पूर्व राष्ट्रपति डा एपीजे अब्दुल कलाम आजाद की आत्मकथा पढ़नी चाहिए. उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के लिए 14 किलो मीटर तक की पैदलयात्रा की थी. राज्यपाल ने कहा कि हर चीज के लिए सरकार को ही जिम्मेवार ठहराना उचित नहीं है.
शिक्षा के संकट, भूख से हो रही मौत, बेरोजगारी और पलायन के लिए भी सरकार को जिम्मेवार ठहराने का फैशन चल पड़ा है. हमें इस मानसिकता से उबरना होगा. जब-तक समाज शिक्षित नहीं होगा, तब-तक इस मानसिकता से हम नहीं उबर पायेंगे. हमें अपने पांव पर खड़ा होना होगा. उन्होंने कहा कि लोग एड़ियाें पर उठे, तो सरकार भी उन्हें उठायेगी. बिहार की धरती अध्यात्म, विज्ञान और राजनीति में श्रेष्ठतम भूमिका निभाती रही है.बिहार बुद्ध, महावीर, चाणक्य और आर्य भट को ले कर देश-दुनिया में जाना जाता है.
चाणक्य ने पूरी दुनिया को राजनीति का पाठ पढ़ाया, किंतु लोग उनकी राजनीति को अपनी-अपनी सुविधानुसार भुनाते हैं. बिहार की धरती लोकतंत्र की जननी है, किंतु हाल के वर्षों में यहां कई विकृतियां भी आयी है. इस धरती को इन विकृतियों से मुक्ति दिलानी होगी. अभिनंदन समारोह को पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, पूर्व गृह सचिव जिया लाल आर्य, पूर्व डीजीपी गंगा प्रसाद दोहरे, पूर्व आइएएस केपी रमैया, शिव शंकर सिंह, केदार पासवान, गोबिंद कुमार और फलाहारी बाबा आदि ने भी संबोधित किया.
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