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हर तीसरी महिला पति की प्रताड़ना की शिकार
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, 71 फीसदी महिलाएं आज भी घरेलू हिंसा की शिकार पटना : आज भी हमारे समाज में 71 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर तीसरी महिला पति द्वारा थप्पड़ से मारे जाने से पीड़ित है. घरेलू हिंसा पहले भी होती थी, लेकिन अब वह […]
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट, 71 फीसदी महिलाएं आज भी घरेलू हिंसा की शिकार
पटना : आज भी हमारे समाज में 71 फीसदी महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर तीसरी महिला पति द्वारा थप्पड़ से मारे जाने से पीड़ित है. घरेलू हिंसा पहले भी होती थी, लेकिन अब वह सामने आने लगी है. ये तमाम बातें होटल पाटलिपुत्र अशोक में आयोजित कार्यशाला में निकल कर सामने आयीं.
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का आयोजन महिला विकास निगम, समाज कल्याण विभाग द्वारा डीएफआइडी की स्वस्थ परियोजना के अंतर्गत किया गया. इस मौके पर कोतवाली थाना परिसर में महिला विशेष कोषांग का भी उद्घाटन किया गया. कार्यशाला में 23 थानों के थाना प्रभारी और महिला कोषांग में पदस्थापित काउंसेलर शामिल हुई थे.
कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षा दे पुलिस : डीजी
आइपीएस एडिशनल डीजी सीआइडी आलोक राज ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए जब तक पुलिस सामने नहीं आयेगी, इसे समाप्त नहीं किया जा सकता है. पुलिस को अपनी जिम्मेवारी समझनी होगी. उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न होता है.
नियम होने के बावजूद उसका पालन ऑफिस आदि में नहीं होता है. इस पर महिला कोषांग का विशेष फोकस होना चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में महिलाओं का उत्पीड़न नहीं होना चाहिए. दोषी को की से कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
वहीं महिला विकास निगम की एमडी डॉ एन विजयालक्ष्मी ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से काउंसेलर को अवेयर किया जायेगा. कार्यशाला में लखनऊ से आयी रिसोर्स पर्सन प्रीति वर्मा ने तमाम काउंसेलर और थाना प्रभारी को घरेलू हिंसा संबंधित कई नियमों से अवगत करवाया.
इस मौके पर सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट के सचिव आइएएस अरविंद कुमार चौधरी, बीटीएएसटी की टीम लीडर प्रकाश कुमार, महिला विकास निगम के राज्य परियोजना प्रबंधक रूपेश कुमार सिन्हा ने भी अपने विचार रखे.
पुलिस उत्पीड़न की भी शिकार हो रहीं महिलाएं
पटना : पुलिस उत्पीड़न एवं मानवाधिकार हनन के मामले में बिहार पांचवें स्थान पर है, जबकि झारखंड का 10वां स्थान है. आरटीआइ से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में वर्ष 2010 से 2015 तक 19428, जबकि झारखंड में 10436 मामले दर्ज किये गये.
यह कहना है बिहार यूथ फोर्स के संयोजक ऋषिकेश नारायण का. वे बुधवार को प्रेम यूथ फाउंडेशन की ओर से फ्रेजर रोड स्थित युवा आवास में आयोजित ‘बिहार में पुलिस उत्पीड़न एवं मानवाधिकार हनन’ विषयक कार्यशाला में बोल रहे थे.
समस्तीपुर निवासी दहेज उत्पीड़न की शिकार सविता ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि किस तरह से महिलाएं पुलिस उत्पीड़न की शिकार हो रही है.
उन्होंने बताया कि जब वह दलसिंह सराय के एक थाने में भाई के साथ दहेज मामले में शिकायत करने पहुंची, तो पुलिस द्वारा उससे मोटी रकम की मांग की गयी. न्याय के लिए उसे कभी थाने, तो कभी कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
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