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हाइकोर्ट का बड़ा फैसला : 830 अमीनों की नियुक्ति हुई रद्द
पटना : पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को 830 अमीनों की बहाली को रद कर दिया है. न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की कोर्ट ने कहा कि अमीन बहाली को लेकर कर्मचारी चयन आयोग की मेधा सूची में गड़बड़ी हुई है. कोर्ट ने इसे रद करते हुए अब सरकार पर आगे की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्णय […]
पटना : पटना हाइकोर्ट ने मंगलवार को 830 अमीनों की बहाली को रद कर दिया है. न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी की कोर्ट ने कहा कि अमीन बहाली को लेकर कर्मचारी चयन आयोग की मेधा सूची में गड़बड़ी हुई है. कोर्ट ने इसे रद करते हुए अब सरकार पर आगे की प्रक्रिया आरंभ करने का निर्णय छोड़ दिया है.
कर्मचारी चयन आयोग ने 27 नवंबर, 2014 को 830 सफल अभ्यर्थियों की मेधा सूची जारी की थी.इनमें एससी कोटि के लिए 181, एसटी कोटि के लिए 31, अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए 181, पिछड़ी जातियों के लिए 83, पिछड़ी जातियों की महिलाओं के लिए 31 और सामान्य कोटि के 314 अभ्यर्थी सफल घोषित किये गये थे. याचिकाकर्ता रविशंकर प्रसाद एवं अन्य के वकील ने कहा कि सफल अभ्यर्थियों में 90 प्रतिशत के पास अमानत की डिग्री नहीं है. वकील ने कोर्ट को बताया कि विज्ञापन में कहा गया था कि इस बहाली में पूर्व से कार्यरत लोगों को प्राथमिकता देने का जिक्र किया गया था. इसके साथ ही मान्यता प्राप्त संस्थान से अमानत की डिग्री भी अनिवार्य थी.
लेकिन, जिन्हें सफल घोषित किया गया उनमें अधिकतर के पास अमानत की डिग्री मान्यता प्राप्त संस्थान से नहीं पायी गयी है. सुनवाई के दौरान ही राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि बिहार अमीन कैडर रूल्स, 2013 के प्रावधानों के अनुसार मेधा सूची सही नहीं है. दूसरी ओर सफल अभ्यर्थियों की ओर से राकेश कुमार आजाद एवं अन्य के वकील ने कहा कि मेधा सूची में कोई गड़बड़ी नहीं है. इस आधार पर सरकार को नियुक्ति पत्र बाटना चाहिए. दोनों पक्षों की बहस सुन कर कोर्ट ने मेधा सूची रद्द करने का फैसला सुनाया. अब नये सिरे से बहाली प्रक्रिया पर सरकार को निर्णय लेना है.
क्या कहा कोर्ट ने
अमीन बहाली को लेकर कर्मचारी चयन आयोग की मेधा सूची में गड़बड़ी साफ जाहिर होती है. इसलिए इस मेधा सूची को रद्द किया जाता है. अब सरकार पर निर्भर करता है कि आगे वह क्या फैसला लेगी.
क्या था आरोप
अमीन बहाली में मान्यता प्राप्त संस्थान से अमानत की डिग्री अनिवार्य थी. लेकिन, जिन्हें सफल घोषित किया गया उनमें अधिकतर के पास अमानत की डिग्री मान्यता प्राप्त संस्थान से नहीं है.
बचाव पक्ष ने कहा
अनीनों की मेधा सूची में कोई गड़बड़ी नहीं है. इस आधार पर राज्य सरकार को नियुक्ति पत्र बांटना चाहिए
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