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पंचायत प्रतिनिधियों पर अविश्वास प्रस्ताव की लटकी रहेगी तलवार

पटना : पंचायती राज अधिनियम में मुखिया, प्रमुख और जिला परिषद अध्यक्ष को दोहरे अविश्वास से सुरक्षा तो मिल गयी है. सरकार ने इससे संबंधित संशोधन भी विधानमंडल से पारित करा लिया है. पर त्रिस्तरीय पंचायती राज के इन पदाधिकारियों को इसका लाभ अगले पंचायत आम निर्वाचन के बाद ही मिलेगा. 2016 में होनेवाले आम […]

पटना : पंचायती राज अधिनियम में मुखिया, प्रमुख और जिला परिषद अध्यक्ष को दोहरे अविश्वास से सुरक्षा तो मिल गयी है. सरकार ने इससे संबंधित संशोधन भी विधानमंडल से पारित करा लिया है. पर त्रिस्तरीय पंचायती राज के इन पदाधिकारियों को इसका लाभ अगले पंचायत आम निर्वाचन के बाद ही मिलेगा.
2016 में होनेवाले आम चुनाव के पहले इन प्रतिनिधियों के खिलाफ अगर एक बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है तो दोबारा भी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. बिहार राज्य पंचायत राज (संशोधन) विधेयक 2015 में प्रावधान किया गया है कि पंचायत प्रतिनिधियों के विरुद्ध उसके कार्यकाल में सिर्फ एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है.
नया संशोधन विधेयक पहली जनवरी, 2016 से लागू होगी. चूंकि मई-जून 2016 में पंचायत आम निर्वाचन संपन्न होगा. ऐसे में जब यह संशोधन विधेयक प्रभावी होगा, उसके पूर्व तक पुराना अधिनियम ही कार्यशील रहेगा. जनवरी के बाद अविश्वास प्रस्ताव लाया भी नहीं जा सकता है.
क्योंकि एक्ट में प्रावधान है कि ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के कार्यकाल के अंतिम छह माह के अंदर इन निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है.
पंचायती राज अधिनियम 2006 में मुखिया-उप मुखिया, सरपंच-उप सरपंच, प्रमुख-उप प्रमुख और जिला परिषद के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का स्पष्ट प्रावधान किया गया है.
अभी तक यह प्रावधान प्रभावी है. इसके अनुसार यह कहा गया है कि त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रतिनिधियों के निर्वाचन के बाद पदावधि के पहले दो वर्षो के भीतर ऐसा कोई भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. यानी कि ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का नेतृत्व करनेवाले नेता के कार्यकाल के पहले दो वर्षो में कोई प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता. दो वर्षो के बाद ही इन प्रतिनिधियों के खिलाफ प्रस्ताव लाया जा सकता है.
आगे स्पष्ट किया गया है कि एक बार अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर होने के एक वर्ष के भीतर दूसरा कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता. इस प्रकार त्रि स्तरीय पंचायत राज पदाधिकारियों के कार्यकाल में अधिकतम दो बार ही अविश्वास लाया जा सकता है. नये संशोधन विधेयक से ऐसी सुरक्षा जन प्रतिनिधियों को मिल जायेगी.

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