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महिला समाख्या के अस्तित्व पर खतरा, नहीं मिला बजट
पटना : महिलाओं के अधिकार,कर्तव्य व उनके भविष्य को संवारने का काम महिला समाख्या करती है. 1992 में शुरू केंद्र सरकार का महिला समाख्या कार्यक्रम महिलाओं द्वारा ही संचालित है. अब इस कार्यक्रम को बंद करने की योजना केंद्र सरकार बना रही है. केंद्र सरकार ने 2015-16 सत्र के लिए अभी तक कोई बजट महिला […]
पटना : महिलाओं के अधिकार,कर्तव्य व उनके भविष्य को संवारने का काम महिला समाख्या करती है. 1992 में शुरू केंद्र सरकार का महिला समाख्या कार्यक्रम महिलाओं द्वारा ही संचालित है.
अब इस कार्यक्रम को बंद करने की योजना केंद्र सरकार बना रही है. केंद्र सरकार ने 2015-16 सत्र के लिए अभी तक कोई बजट महिला समाख्या के पास नहीं भेजा है. इस कारण सबला व आत्मा कार्यक्रम को ठप करना पड़ा. जानकारी महिला समाख्या की राज्य कार्यक्रम सन्वयक कृति ने दी. उन्होंने बताया कि 2014 में आइआइएम अहमदाबाद की ओर से देश में महिला समाख्या कार्यक्रम पर सर्वे करवाया गया था. इसकी रिपोर्ट आइआइएम अहमदाबाद ने नवंबर, 2014 में दी. रिपोर्ट में कई प्वाइंट में महिला समाख्या पर प्रश्नचिह्न् भी लगाये गये हैं.
वहीं कई प्वाइंट पर तारीफ की गयी है. कृति ने बताया कि हर साल मार्च के पहले बजट का अनुमोदन हो जाता था, लेकिन अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई बजट नहीं दिया गया है. बजट आने के तीन महीने बाद ही हमारे पास पैसे पहुंचते हैं. पैसे नहीं होने के कारण हमें कई कार्यक्रमों को बंद करना पड़ा.
महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए कई तरह के प्रोग्राम चलाये जाते हैं. देश में 11 राज्यों में चल रहा प्रोग्राम बिहार के 21 जिलों में चलाया जाता है. कृति ने बताया कि बिहार की लगभग चार लाख महिलाएं और किशोरियां इस प्रोग्राम से लाभान्वित हो रही हैं.
प्रखंड,पंचायत व राज्य स्तर पर महिला समाख्या के कार्यक्रम चलाये जा रहे हंै. अगर यह प्रोग्राम बंद हो जायेगा,तो काफी संख्या में महिलाओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए महिलाओं द्वारा चलाये जाने वाला यह सबसे बड़ा देश का कार्यक्रम है. कृति ने बताया कि महिला समाख्या का 2015-16 का बजट 13 करोड़ का है.
इन जिलों में चलता है प्रोग्राम
मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, प. चंपारण, रोहतास, शिवहर, दरभंगा, भोजपुर, कैमूर, गया, सुपौल, किशनगंज, बांका, जमुई, पूर्णिया, कटिहार, वैशाली व पूर्वी चंपारण
महिला समाख्या
समूहों की संख्या – 11010
महिला सदस्य – 2,11,729
इन मुद्दों पर होता है काम
दहेज प्रताड़ना, दुष्कर्म,घरेलू हिंसा, सामाजिक या अन्य हिंसा
पटना : स्कूल के छात्र-छात्राओं को सरकार एंटरप्रेन्योर स्किल से जोड़ने की तैयारी कर रही है. इसके लिए सरकार शिक्षकों को इसके लिए ट्रेंड कर रही है ताकि बच्चों को एंटरप्रेन्योरशीप के बारे में पढ़ा सके.
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से बुधवार को गल्र्स हाइ स्कूल शास्त्री नगर में गोइंग टू स्कूल संस्था के तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई. जिला के 199 हाइस्कूलों के 398 शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गयी.
शिक्षकों ने बताया कि हर शनिवार को नवमी कक्षा के छात्र-छात्राओं का एक्सट्रा क्लास लिया जाना है. इसमें बच्चों को उद्यमिता के बारे में जानकारी दी जानी है. साथ ही बच्चों को प्रोजेक्ट के जरिये उनमें एंटरप्रेन्योर की जानकारी दी जानी है. गोइंग टू स्कूल के प्रोग्राम मैनेजर अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि ‘गोइंग टू स्कूल’ के जरिये बच्चों का बौद्धिक विकास किया जाना है.
पटना जिले के 199 स्कूल का चयन किया गया है. हर स्कूल के 100 बच्चों को चयन का चयन कर नि:शुल्क किताबें व स्टडी मटेरियल मुहैया करायी जानी है.
योजना के तहत स्कूलों से ड्रॉप आउट होने वाले बच्चों के कारणों का पता लगाया जायेगा. गोइंग टू स्कूल के प्रोजेक्ट ऑफिसर शरत चंद्रा ने बताया कि ‘ गोइंग टू स्कूल’ के जरिये बच्चों को स्कूल से जोड़ने का काम हो रहा है. उन्हें मोटिवेशनल स्टोरिज के जरिये उद्यमिता व अन्य कौशल विकास से जोड़ा जाना है.
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