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दवा के बिना कब तक मरेंगे गरीब: नंदकिशोर
पटना : सूबे के अस्पतालों में दवा की कमी को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि सरकार बिहार के सरकारी अस्पतालों को श्मशान बनाने पर आखिर क्यों तुली है. मुफ्त दवा ही नहीं प्राथमिक उपचार और यहां तक कि जीवनरक्षक दवाइयां तक सरकारी […]
पटना : सूबे के अस्पतालों में दवा की कमी को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोलते हुए विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि सरकार बिहार के सरकारी अस्पतालों को श्मशान बनाने पर आखिर क्यों तुली है.
मुफ्त दवा ही नहीं प्राथमिक उपचार और यहां तक कि जीवनरक्षक दवाइयां तक सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं. श्री यादव ने पीएमसीएच में हीमोफीलिया के मरीज की मौत का हवाला देते हुए कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी के मशहूर अस्पताल सिर्फ दो साल के भीतर इतना लाचार हो चुका है कि मरीज डक्टरों के सामने तड़प-तड़प कर मर गया और डक्टर दवा नहीं होने के कारण हाथ पर हाथ धरे खड़े रह गए. जब इमरजेंसी में भर्ती मरीज की यह हालत है तो जनरल वार्ड के मरीजों का तो भगवान ही मालिक है. हीमोफीलिया की दवा पिछले छह महीने से इस अस्पताल में नहीं है.
एंटी रैबिज, एंटी स्नेक कुछ नहीं है. भाजपा जबतक जदयू के साथ सरकार में थी, सूबे के तमाम अस्पतालों में दवाइयों का पूरा स्टक होता था. पिछले दो साल में कई मरीज दवाइयां नहीं होने के कारण दम तोड़ चुके हैं, पटना में ही संक्रामक रोग अस्पताल में पहले भी एक जान जा चुकी है. श्री यादव ने कहा कि राजद और कांग्रेस समर्थित जदयू सरकार को ये पता नहीं है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए ज्यादातर गरीब-निर्धन मरीज आते हैं.
क्या सरकार की ये जिम्मेदारी नहीं है कि वो इन गरीब मजदूरों को जीने और इलाज का अधिकार मुहैया कराए. सरकार के पैसों से जदयू का पार्टी प्रचार, मुख्यमंत्री का प्रचार कराया जाता है और गरीबों के लिए दवाइयों का इंतजाम नहीं कराया जाता, ये कैसी नीति है. मुख्यमंत्री अपने रिपोर्ट कार्ड में दावा करते हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं उन्होंने सुधार दी हैं, लेकिन हकीकत सबसे सामने है.
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