इसके लिए पटना जिले में 4.70 लाख बच्चों को ओआरएस व जिंक देने का लक्ष्य रखा गया है. अभियान की शुरुआत सिविल सजर्न डॉ केके मिश्र के नेतृत्व में की जायेगी. इसकी मॉनीटरिंग के लिए विशेष टीम बनायी गयी है, जो स्कूलों व घरों में चलनेवाले कार्यक्रम को देख कर उसकी रिपोर्ट सिविल सजर्न को देंगे.
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डायरिया से बचाव के लिए 27 से अभियान
पटना: बिहार में 27 जुलाई से पांच अगस्त तक डायरिया पखवारा चलाया जायेगा. कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी हर वैसे घर में जायेंगे, जहां पांच साल से कम उम्र के बच्चे होंगे. वहां जाने के बाद बच्चे के मां-बाप को डायरिया के लक्षण से अवगत कराया जायेगा. उनको जिंक व ओआरएस का पैकेट समेत एक […]
पटना: बिहार में 27 जुलाई से पांच अगस्त तक डायरिया पखवारा चलाया जायेगा. कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारी हर वैसे घर में जायेंगे, जहां पांच साल से कम उम्र के बच्चे होंगे. वहां जाने के बाद बच्चे के मां-बाप को डायरिया के लक्षण से अवगत कराया जायेगा. उनको जिंक व ओआरएस का पैकेट समेत एक पंपलेट दिया जायेगा.
डायरिया रोकने में ओआरएस व जिंक की भूमिका अहम : डायरिया के प्रभाव को कम करने में ओआरएस और जिंक की महत्वपूर्ण भूमिका है. बच्चों में होनेवाली डायरिया के दौरान ओआरएस और जिंक का प्रयोग कर हम बाल मृत्यु दर को कम कर सकते हैं. ओआरएस दस्त के कारण शरीर में हुए पानी की कमी को दूर करने के साथ ही रोग की गंभीरता को भी कम करता है.
डॉक्टरों की मानें तो दस्त के दौरान ओआरएस व जिंक जितना कारगर हैं, उतना कोई अन्य दवा असर नहीं करती है. दस्त ठीक होने के बाद जिंक एक शक्तिवर्धक दवा की तरह काम करता है. दस्त रुकने के 14 दिनों बाद तक जिंक देने से अगले दो-तीन माह तक संक्रमित रोगों के होने की आशंका कम हो जाती है.
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