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फ्लैश बैक : अविश्वास प्रस्ताव

संवाददाता,पटनापिछली बार एक वोट से मिली थी जीतमेयर अफजल इमाम की कुरसी पिछले साल मात्र एक वोट के अंतर से बची थी. विपक्षी पार्षदों ने पिछले साल 16 जून को अविश्वास प्रस्ताव लाया था,जिस पर 26 जून को विशेष बैठक बुलायी गयी. बैठक में 39 पार्षदों ने वोटिंग की,लेकिन पक्ष में मात्र 36 वोट मिलने […]

संवाददाता,पटनापिछली बार एक वोट से मिली थी जीतमेयर अफजल इमाम की कुरसी पिछले साल मात्र एक वोट के अंतर से बची थी. विपक्षी पार्षदों ने पिछले साल 16 जून को अविश्वास प्रस्ताव लाया था,जिस पर 26 जून को विशेष बैठक बुलायी गयी. बैठक में 39 पार्षदों ने वोटिंग की,लेकिन पक्ष में मात्र 36 वोट मिलने से प्रस्ताव गिर गया. तीन पार्षदों में एक ने प्रस्ताव के विरोध में वोट दिया जबकि दो ने क्रॉस वोटिंग कर विपक्ष का पूरा खेल ही बिगाड़ दिया.2010 में पहली बार बने मेयरअफजल इमाम 2010 में पहली बार मेयर के लिए चुने गये. तत्कालीन मेयर संजय कुमार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव में हार के बाद नये सिरे से मेयर के लिए वोटिंग हुई,जिसमें उन्हें जीत मिली. दो साल बाद 2012 में जब नये सिरे से पटना नगर निगम का चुनाव हुआ,तो पार्षदों ने उनको दोबारा मेयर चुन लिया. इसके दो साल बाद ही उनके खिलाफ पार्षदों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया,जो एक वोट से गिर गया.कमिश्नर से विवाद को लेकर रहे चर्चितनिवर्तमान मेयर अपने कार्यकाल के दौरान हमेशा विवाद में रहे. उनकी किसी कमिश्नर से नहीं बनी. चाहे वह मनीष कुमार हो या दिवेश सेहरा,आदेश तितरमारे हो या कुलदीप नारायण. उनके रिजन में पंकज पाल ही कुछ अधिक दिन तक कमिश्नर बने रह सके. कुलदीप नारायण से उनका विवाद खासा चर्चा में रहा. इस विवाद के चलते शहर की सफाई और मॉनीटरिंग व्यवस्था बिल्कुल ठप हो गयी थी. उनके बीच गहरी खायी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता था कि दोनों का कक्ष आमने-सामने होने के बावजूद वे लोग आपस में चिट्ठी से ही बात किया करते थे. वर्तमान नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक से भी उनके थोड़े बहुत विवाद की शुरुआत हो गयी थी.

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