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केंद्र बिहार की जनता को भ्रमित न करे: चौधरी

पटना : कृषि, जल संसाधन एवं सूचना एवं जन संपर्क मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्रलय बिहार के विकास में सहयोग नहीं कर सकता है तो कम से कम बिहार की जनता को भ्रमित करने का तो प्रयास न करे. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार चंपारण के माधोपुर में गन्ना […]

पटना : कृषि, जल संसाधन एवं सूचना एवं जन संपर्क मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा है कि केंद्रीय कृषि मंत्रलय बिहार के विकास में सहयोग नहीं कर सकता है तो कम से कम बिहार की जनता को भ्रमित करने का तो प्रयास न करे. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार चंपारण के माधोपुर में गन्ना इंस्टीच्यूट की स्थापना का मामला एमओयू में शामिल होने की बात कभी नहीं कही. बिहार के लोगों को याद है कि 25 जनवरी को जब राजेंद्र कृषि विवि, पूसा को केंद्रीय विवि का दर्जा देने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर के समय केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि माधोपुर के गन्ना इंस्टीच्यूट को केंद्र सरकार अपने अधीन करेगी.
यह खबर सभी अखबारों में प्रमुखता से छपी थी. उन्होंने कहा कि जब राजेंद्र कृषि विवि अपने अधीन राज्य सरकार के पहल पर अत्याधुनिक संस्थान की स्थापना का निर्णय ले चुकी है तो यह स्वाभाविक रूप से इस संस्थान के स्थापित करने का जिम्मा केंद्र सरकार का बनता है. चौधरी ने कहा कि इस संस्थान के लिए राज्य सरकार ने पहले से ही 77 एकड़ जमीन चिह्न्ति कर लिया है. केंद्र सरकार इसकी स्थापना की जिम्मेवारी से नहीं बच सकती है. यदि इस मामले में केंद्र सरकार वादों से मुकर जाये तो और बात है.
उन्होंने कहा कि सबसे भ्रामक सूचना तो केंद्र सरकार की ओर से दी गयी कि देश के छह प्रमुख गन्ना अनुसंधान केंद्रों में से एक मोतीपुर, मुजफ्फरपुर में स्थापित है, जबकि मोतीपुर में मात्र एक गन्ना विकास से संबंधित क्षेत्रीय केंद्र कार्यरत है. यह पूर्व में कोयंबटूर और बाद में लखनऊ स्थित संस्थान से संबद्ध रहा है. उन्होंने कहा कि आज मोतीपुर केंद्र में एक भी वैज्ञानिक नहीं हैं और न ही किसानों को कोई कारगर सहायता मिल रही है.
देश की समस्या छोड़ विदेश चले गये प्रधानमंत्री : संजय
पटना. जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जो देश को समस्या में छोड़ कर विदेश चले जाते हैं. भाजपा नेता सुशील मोदी ऐसे प्रधानमंत्री की वकालत कर रहे हैं, जो 14 महीने में 26 बार विदेश दौरा पर गये हैं और उससे कुछ फायदा भी नहीं हुआ. सुशील मोदी ही बताये कि प्रधानमंत्री इन 26 विदेश यात्राओं में कितना निवेश देश में लाये.
इस बात का भी खुलासा करना चाहिए कि विदेश की कितनी कंपनियां भारत में निवेश लगाने को इच्छुक है. प्रधानमंत्री के विदेश यात्रा में कितना खर्च हुआ प्रधानमंत्री कार्यालय भी आरटीआइ के तहत इसकी सूचना नहीं दे रही है. उन्होंने कहा कि गुजरात में कोई अतिपिछड़ा वर्ग नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री को अतिपिछड़ा जरूर कहा जाता है. नरेंद्र मोदी को अपना जाति प्रमाण पत्र सार्वजनिक करना चाहिए. जब चुनाव आता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतिपिछड़ा बन जाते हैं, चाय बेचने वाले बन जाते हैं, गरीब का बेटा बन जाते हैं.

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