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दीघा रेल सह सड़क पुल पर रेलवे व राज्य सरकार के दावों की पड़ताल करती अब तक की बड़ी रिपोर्ट

गंगा नदी पर बन रहे दीघा रेल सह सड़क सेतु की राह में अभी बड़े पेच हैं. पुल की जल्द शुरुआत किये जाने को लेकर रेल प्रशासन और राज्य सरकार भले ही लाख दावे करे, लेकिन हकीकत है कि दिन-रात काम चलने के बावजूद अगले तीन महीने से पहले इस ट्रैक पर रेलगाड़ी और छह […]

गंगा नदी पर बन रहे दीघा रेल सह सड़क सेतु की राह में अभी बड़े पेच हैं. पुल की जल्द शुरुआत किये जाने को लेकर रेल प्रशासन और राज्य सरकार भले ही लाख दावे करे, लेकिन हकीकत है कि दिन-रात काम चलने के बावजूद अगले तीन महीने से पहले इस ट्रैक पर रेलगाड़ी और छह महीने से पहले सड़क पुल का चालू होना मुमकिन नहीं है. चुनावी वर्ष को देखते हुए केंद्र सरकार इस बहुप्रतीक्षित पुल को जल्द चालू करा कर इसका श्रेय लेना चाहती है. इसके लिए साइट पर दिन-रात मजदूरों को लगा कर काम चलाया जा रहा है. सीनियर रेल अधिकारी भी हर दिन स्पॉट पर जाकर प्रगति का जायजा ले रहे हैं. रविवार को प्रभात खबर टीम संवाददाता सुमित कुमार और आनंद तिवारी ने दीघा-सोनपुर रेल सह सड़क पुल के हालात का जायजा लिया. पेश है रिपोर्ट.
रेलवे
दावा : रेलवे का दावा है कि उनका काम पूरा हो गया है. जल्द ही दीघा-सोनपुर के बीच गंगा नदी पर बने रेलवे ट्रैक पर परिचालन शुरू हो जायेगा.
हकीकत : दीघा-सोनपुर रेल पुल पर गंगा नदी में कुल 38 स्पैन (पिलर) बनाये गये हैं. इसी स्पैन पर गंगा नदी के अंदर सड़क सह पुल की आधारशिला रहेगी. यह स्पैन दोनों छोर से बन रहा है. पटना छोर से 17 जबकि सोनपुर छोर से 16 स्पैन पर चल रहा निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है. बीच में करीब चार-पांच स्पैन (संख्या 16, 17, 18, 19, 20) पर रेल पुल के ऊपर सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है. इसको पूरा करने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा, क्योंकि गार्डर के ऊपर रिपिट, सबरिंग, स्टाइ व छरिया होगा, फिर कंक्रीट की ढलाई होगी. यह काम पूरा हो जाने के बाद रेलवे का काम खत्म हो जायेगा. लेकिन इस काम के पूरा होने के बाद भी रेल परिचालन बहाल नहीं होगा, क्योंकि दोनों छोर पर एप्रोच रोड का काम अभी काफी बाकी है.
राज्य सरकार
दावा : एप्रोच रोड की तमाम बाधाएं दूर कर दी गयी है. सड़क निर्माण का काम तेजी से चल रहा है.
हकीकत : एप्रोच रोड ही सबसे बड़ी समस्या बनी है. वर्तमान में पुल के दोनों छोर पर एप्रोच रोड का काम फंसा हुआ है. पटना छोर पर देखें तो दीघा थाने के समीप स्टेशन बनाया जाना है. रेलवे के अंतिम स्पैन से लेकर दीघा स्टेशन तक की दूरी करीब दो किमी है. इस पर रेलवे ट्रैक के लिए मिट्टी बिछाये जाने और सड़क के लिए एलिवेटेड पुल तैयार करने की जिम्मेवारी राज्य सरकार ने गैमन इंडिया को दे रखी है. फिलहाल रेलवे लाइन के लिए मिट्टी डालने का काम लगभग पूरा हो गया है. बीच में बिंद टोली की छह एकड़ जमीन को लेकर थोड़ा पेच फंसा है, जिसको हल किये जाने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं.

जिला प्रशासन के मुताबिक यह खासमहाल की जमीन थी, जिसे चंद्रवंशी सिंह नामक किसी व्यक्ति ने जमाबंदी करा ली है. यह मामला हाईकोर्ट तक भी गया, जिसमें चंद्रवंशी सिंह ने जमीन की जमाबंदी भी पेश की और उसके आधार पर मुआवजा का दावा कर रहा है. हालांकि राज्य सरकार ने इसको लेकर फिर से एलपीए दायर किया है और दो से तीन महीने के अंदर मामले के निबटारे की उम्मीद जता रहा है. सोनपुर छोर पर भी काफी काम बचा हुआ है. अभी परमानंद पुल से पहलेजा छोर तक रेल पटरी बिछाने के लिए मिट्टी बिछाने का काम चल ही रहा है. इसके बाद उस पर पटरी बिछायी जायेगी. स्थानीय जिला प्रशासन के मुताबिक सड़क निर्माण के लिए अतिक्रमण हटाने का काम लगभग पूरा कर लिया गया है. इस छोर पर भी पुल के अंतिम स्पैन से नये बनने वाले भरपूरा स्टेशन तक की ढ़ाई किमी दूरी में सड़क व रेल पुल एप्रोच का काफी काम होना बाकी है.

चालू हुआ तो होगा फायदा
दीघा-पहलेजा रेल सह सड़क पुल चालू हुआ तो राजधानी से उत्तर बिहार को जोड़ने की बड़ी समस्या हल हो जायेगी. फिलहाल गांधी सेतु व मोकामा सेतु की स्थिति को देखते हुए यह काफी जरूरी है. पुल अगर समय पर शुरू हो जाता है तो न सिर्फ गांधी सेतु पर भारी जाम से मुक्ति मिलेगी, बल्कि छपरा, गोरखपुर आदि शहरों के लिए नया रास्ता भी खुल जायेगा और राजधानी से उनकी दूरी काफी घट जायेगी. इसके लिए दीघा स्टेशन को पाटलिपुत्र स्टेशन से होते हुए पटना व दानापुर स्टेशन तक जबकि पहलेजा को सोनपुर व मुजफ्फरपुर स्टेशनों से जोड़ा जा रहा है. मुगल सराय से पटना तक ट्रैक पर गाड़ियों की क्षमता भी बहुत ज्यादा है. ऐसे में पटना जंकशन व दानापुर से दीघा रेल रूट को जोड़ कर ट्रेनों को सीधे छपरा व सोनपुर की ओर से ले जाया जायेगा. पाटलिपुत्र जंकशन से सीधे जुड़ने वाले रेल पुल को सोनपुर व छपरा रूट से भी जोड़ा जायेगा.
दीघा-पहलेजा रेल सह सड़क पुल का निर्माण लगभग कंपलीट ही हो गया है. सिर्फ दो बिंदुओं पर समस्या है. बिंद टोली की जमीन को लेकर दिक्कत है, वहीं एनएचएआइ द्वारा नक्शा नहीं मिलने से समस्या आ रही है. इनका समाधान भी निकाला जा रहा है. इस महीने के अंत तक पूरा काम कर लिया जायेगा.
एलएम झा, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण/दक्षिण), पूर्व मध्य रेल.
एप्रोच रोड में बिंद टोली के छह एकड़ जमीन की समस्या रह गयी है. जिला प्रशासन के हिसाब से यह जमीन खासमहल की है, लेकिन स्थानीय चंद्रवंशी सिंह द्वारा इसकी जमाबंदी कर रैयती जमीन घोषित करा लिया गया है. अब उनके द्वारा मुआवजे की मांग की जा रही है. प्रशासन ने इस मामले में एलपीए दायर किया है.
नीलकमल, अपर समाहर्ता, पटना
कहां फंसा है पेच
चल रही अटकलों के मुताबिक अगर जुलाई अंत तक इस पुल पर रेल परिचालन शुरू भी कर दिया जाता है तो सिर्फ गंगा नदी पर बने पहले स्पैन से अंतिम स्पैन तक ही ट्रेन आ-जा सकेगी. दोनों छोर के एप्रोच रोड तैयार नहीं होने की वजह से ट्रेन स्टेशन तक तक नहीं पहुंच सकेगा. ऐसे में लोग चढ़ेंगे-उतरेंगे कैसे.
सड़क भी सिर्फ स्पैन तक ही बन सकी है. उसके एप्रोच रोड के निर्माण में तो रेल एप्रोच से भी अधिक समय लगने की उम्मीद है, क्योंकि अतिक्रमण इसकी राह में मुख्य बाधा है. अतिक्रमण हटाने के बाद निर्माण कार्य पूरा करने में भी काफी समय लगने की उम्मीद है.
बिना सीआरएस ( कमिश्नर रेलवे सेफ्टी) के निरीक्षण के किसी भी रेलवे ट्रैक पर परिचालन शुरू नहीं हो सकता. निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही सीआरएस इसका निरीक्षण करेंगे और फिर संतुष्ट होने पर ही परिचालन शुरू करने की हरी झंडी देंगे. उनकी हरी झंडी के बाद पहले मालगाड़ी चलेगी. फिर यात्री परिचालन शुरू हो सकेगा.
अभी अगर पुल पर रेल परिचालन शुरू भी होगा तो सिंगल लाइन पर ही होगा, क्योंकि अभी तक स्पैन पर भी दूसरी लाइन पूरी तरह नहीं बिछ सकी है. दूसरी लाइन बिछाने में भी काफी समय लगेगा. इस पुल की फिनिशिंग होते-होते कम से कम डेढ़ से दो साल का समय लग सकता है.

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