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रमजान लाइव: घर से बनवा कर लाते हैं इफ्तारी का सामान हिंदू भी लेते हैं हिस्सा

पटना: शाम के 6.40 बजे थे. सारे लोग इफ्तार करने मसजिद में जमा हो चुके थे. आसपास का माहौल काफी सुकून भरा था. लोग एक -दूसरे की मदद से इफ्तार को दस्तरखान में लगाने में मशरूफ थे. इस मौके पर मौलाना खुर्शीद अहमद बताते हैं कि मसजिद में रोज स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से […]

पटना: शाम के 6.40 बजे थे. सारे लोग इफ्तार करने मसजिद में जमा हो चुके थे. आसपास का माहौल काफी सुकून भरा था. लोग एक -दूसरे की मदद से इफ्तार को दस्तरखान में लगाने में मशरूफ थे. इस मौके पर मौलाना खुर्शीद अहमद बताते हैं कि मसजिद में रोज स्थानीय लोगों के अलावा बाहर से आनेवाले मुसाफिरों को भी इफ्तार कराया जाता है. इफ्तारी का सामान मुहल्ले के लोग अपने घर से बनवा कर लाते हैं और सामूहिक रूप से फल आदि की खरीदारी भी होती है. साथ ही हिंदू भाइयों को भी इफ्तार की दावत में शामिल किया जाता है. यह सिलसिला कई सालों से चल रहा है.
तरावीह होती है बेमिसाल
रात के 8.30 बजे हैं. करबिगहिया जामा मसजिद और आसपास का इलाका जगमग है. पास की दुकानों में खजूर, बकरखानी, लच्छा व इत्र समेत सहरी का सामान बिक रहा है. फल की दुकानों पर इफ्तार और सहरी का सामान खरीदने के लिए भीड़ लगी हुई है. इसी बीच मसजिद में तरावीह की नमाज के लिए रोजेदार जुटने लगे. पता चला कि यहां रोजाना चार से पांच सौ रोजेदार नमाज अदा करते हैं. जुमे के दिन नमाजियों की संख्या चार हजार तक पहुंच जाती है. कुछ ही दिनों में तरावीह में एक कुरान पूरा होनेवाला है.
रमजान में गुनाह माफ हो जाते हैं
पैगंबर साहब के पास सबसे पहला शब्द इकरा बिस्मा आया था. इसका मतलब होता है तालीम. यानी अल्लाह ने पैगंबर साहब को भी सबसे पहले तालीम का ही पैगाम दिया था. इसलाम में तालीम हासिल करना भी एक इबादत है. इनसान को सबसे पहले तालीम हासिल करनी चाहिए. तभी वह तरक्की कर सकता है. पैगंबर साहब को तालीम शब्द रमजान के दौरान ही प्राप्त हुआ था. रमजान और इकरा बिस्मा तालीम का बड़ा ही गहरा रिश्ता है.रमजान जहां रोजेदार को सब्र का पाठ पढ़ाता है, वहीं तालीम भी इनसान को रहमदिली, सब्र, नियंत्रण तथा झूठ व गंदे सोच से बचाती है. कुरान कहता है कि सच्च मुसलमान वह है कि जो हर बुराई से दूर रहे. केवल पूरे दिन भूखे रहना रोजा नहीं है, बल्कि रोजेदार के लिए कुछ नियम होते हैं. इस माह में अल्लाह इनसानों के सभी गुनाहों का माफ कर देते हैं. हमें प्रेम व सौहार्द के साथ रमजान मनाना चाहिए. बुराइयों से दूर रह कर जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए तथा मुल्क की तरक्की की दुआ करनी चाहिए.

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