मैंने 1996 में मैट्रिक पास किया था. जिस दिन रिजल्ट आने वाला था उस दिन हम हॉस्टल में नहीं थे. घर से हॉस्टल जाने के लिए बस से करीब 60 किलोमीटर की यात्रा करके हॉस्टल पहुंचे थे. वहां पर परीक्षा परिणाम चस्पा किया गया था. परिणाम देखने की बड़ी उत्सुकता थी. जब लिस्ट देखा तो 87 प्रतिशत मार्क आये थे. इसके हिसाब से मेरा क्लास में तीसरा पोजीशन था. परिणाम देख कर बहुत अच्छा नहीं लगा रहा था. तभी लिस्ट पर नजर पड़ी तो देखा कि उस पर फैक्स लिख हुआ था. 24 घंटे मूड ऑफ था. पर अगले दिन फेयर लिस्ट चस्पा हुई तो पता चला कि मार्क 87 ने बल्कि 97 प्रतिशत है. यह जान कर बहुत खुशी हुई. सही मार्क का पता चलने पर मेरा पोजीशन फर्स्ट हो गया था. सभी विषय में ठीक नंबर थे. 90 से अधिक मार्क थे. बस हिंदी में कम था. हिंदी में 75 अंक मार्क था. वह बेहतरीन पल थे, हमेशा याद रहेगा.- जितेंद्र राणा, पटना एसएसपी
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मैट्रिक का रिजल्ट देखने के लिए 60 किलोमीटर तक बस से की यात्रा
मैंने 1996 में मैट्रिक पास किया था. जिस दिन रिजल्ट आने वाला था उस दिन हम हॉस्टल में नहीं थे. घर से हॉस्टल जाने के लिए बस से करीब 60 किलोमीटर की यात्रा करके हॉस्टल पहुंचे थे. वहां पर परीक्षा परिणाम चस्पा किया गया था. परिणाम देखने की बड़ी उत्सुकता थी. जब लिस्ट देखा तो […]
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