राजद-जदयू-कांग्रेस का महागंठबंधन अस्तित्व बचाने के लिए व्याकुल सांपों का जमावड़ा है. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने कभी नीतीश कुमार को बबूल का पेड़ कहा और अब वे उन्हें जहर बता रहे हैं. जिस जनता परिवार में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी को जहर बताया जा रहा है, उससे राज्य की जनता का भला क्या होगा? लालू प्रसाद सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं. विकास से उनका कोई लेना-देना नहीं है. मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद और मुलायम सिंह पर कांग्रेस का दबाव बनवाकर नीतीश कुमार ने भले ही खुद को नेता मनवा लिया, लेकिन आगे की राहें आसान नहीं होंगी. इन्हीं सांपों के डंसने से नीतीश कुमार के सुशासन का रंग काला पड़ गया है.
समाजवादियों का इतिहास रहा है कि वे सत्ता में आते ही झगड़ने लगते हैं. उन्हें जनता की सेवा के लिए फुरसत ही नहीं मिलती. इन लोगों ने 1978-79 में जनता पार्टी को तोड़ कर जेपी और देश की जनता के विश्वास को आघात किया था. इंदिरा गांधी की वापसी उनके गुणों की वजह से नहीं, बल्कि झगड़ते समाजवादियों की प्रतिक्रिया का परिणाम थी. आज फिर ये लोग जनता परिवार के नाम एक होकर फिर जनता से महाविश्वासघात की पटकथा लिख रहे हैं.