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मांझी के ‘आम-लीची’ पर पुलिस का पहरा, मोदी ने कहा- नीतीश का महादलित प्रेम दिखावा

पटना. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महादलित प्रेम दिखावा से कुछ अधिक नहीं है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को पहले मुख्यमंत्री के पद से हटा कर अपमानित किया और अब उनके आवास में स्थित आम-लीची पर पुलिसिया पहरा बैठा दिया है. मांझी […]

पटना. पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का महादलित प्रेम दिखावा से कुछ अधिक नहीं है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जीतनराम मांझी को पहले मुख्यमंत्री के पद से हटा कर अपमानित किया और अब उनके आवास में स्थित आम-लीची पर पुलिसिया पहरा बैठा दिया है. मांझी को आम की चटनी तक के लिए तरसा रहे हैं. कुमार को बरदाश्त नहीं है कि कोई महादलित एक, अणो मार्ग स्थित आवास परिसर के पेड़ों का एक फल भी चखे. उन्हें ‘आम जनता’ की नहीं, ‘आम’ की चिंता हैं. उनका दलित-महादलित प्रेम महज एक दिखावा है.

एक ओर पूरे राज्य में अपराध चरम पर है.

अपराध रोकने के लिए राज्य सरकार को पुलिस बल नहीं है, मगर एक महादलित पूर्व मुख्यमंत्री के बाग में दो दर्जन पुलिसकर्मियों का पहरा बैठाने और दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो में आधे दर्जन पुलिसकर्मियों भेजने के लिए पुलिस है. उन्होंने आरोप लगाया कि मांझी को एक, अणो मार्ग स्थित आवास से निकालने की साजिश और उनकी जासूसी के लिए पहरा बैठाया गया है. इसीलिए उनके आवास के फोन व केबुल कनेक्शन काट दिये गये हैं.
केंद्र से टकराव के लिए वे दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो में राज्य के आधे दर्जन पुलिस पदाधिकारियों की राजनीतिक कारणों से तैनाती करवायी है. यूपीए सरकार ने भी कभी ऐसा दु:साहस नहीं किया था. उत्तर प्रदेश की सरकार ने दिल्ली सरकार के अनुरोध को नकार दिया. अखिल भारतीय सेवा के पुलिस पदाधिकारी तो केंद्र की सहमति से एक-दूसरे राज्यों में तैनात होते रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि बिहार में दूसरे राज्यों की सेवा के कितने पुलिस पदाधिकारी तैनात है?
आम की सुरक्षा जरूरी या अवाम की :नंदकिशोर
पटना. प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कहा है कि जदयू सरकार को अवाम की नहीं आम की अधिक चिंता है. यादव ने कहा कि आंकड़ा बताता है कि फरवरी में बिहार में हत्या की 211 और मार्च में 274 वारदात दर्ज की गयी. फरवरी में डकैती के 34 और मार्च में 35 केस दर्ज हुए. अपहरण तो राजद राज की तरह से उद्योग बन चुका है. फरवरी में 561 और मार्च में 619 अपहरण के केस हुए हैं. अप्रैल में भी करीब 500 लोगों के अगवा किए जाने की खबर है. इसके अलावा बिहार में फरवरी और मार्च में हिंसा की 2000 से ज्यादा घटनाएं हुईं. एक लाख लोगों की सुरक्षा में औसतन 65 से 70 पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि आम के 100 पेड़ की सुरक्षा के लिए दो दर्जन पुलिसवाले तैनात किये गये हैं.
जदयू सुप्रीमों को बताना चाहिए कि उनकी निगाह में बिहार की जनता की सुरक्षा प्राथमिकता हैं या आम-कटहल की सुरक्षा. जदयू सरकार बिहार में पुलिसवालों की कमी के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री की डिमांड पर अफसर भेज रही है.
पुलिस मुख्यालय ने कहा आम-लीची तोड़ने से नहीं किया मना
पटना. आम-लीची विवाद की आंतरिक जांच पुलिस मुख्यालय ने अपने स्तर से करायी है. रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी या उनके परिवार के किसी सदस्य को आम-लीची तोड़ने से नहीं रोका गया है. एडीजी (मुख्यालय) सुनील कुमार ने कहा कि आम, लीची, कटहल समेत अन्य सभी सरकारी सामानों की सुरक्षा करने के लिए सीएम हाउस में पहली बार सुरक्षा गार्ड नहीं तैनात किये गये हैं. यह नियमित प्रक्रिया है. उन्होंने सुरक्षा कर्मियों का मई, 2014 का हाजिरी रजिस्टर दिखाते हुए कहा कि पिछले साल भी 11 मई से 31 जुलाई के बीच सरकारी संपत्ति की सुरक्षा करने के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात किये गये थे. गौरतलब है कि इस दौरान सीएम खुद जीतन राम मांझी ही थे. नालंदा जिले के राजगीर में मलमास मेले को लेकर विवाद फिलहाल शांत है. राजगीर में 144 धारा लगा कर विधि-व्यवस्था को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया है.
मलमास मेला लगाने को लेकर प्रशासन और मलमास मेला संघर्ष समिति के लोगों के बीच जबरदस्त विवाद हो गया था. मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि दोनों तरफ से जम कर रोड़ेबाजी हुई. मामले को तत्काल नियंत्रित करने और इसकी गहन समीक्षा करने के लिए एडीजी (मुख्यालय) सुनील कुमार खुद राजगीर दौरे पर गये हुए थे.
हमें तो सिर्फ है अवाम की चिंता : नीतीश
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जिन्हें आम की चिंता है वे करें, हमें तो आवाम की चिंता है. सीएम हाउस में आम के पेड़ों की पहरेदारी के मामले पर उन्होंने कहा कि यह खबर अखबारों से उन्हें मिली है. अगर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी सीएम हाउस में लगे आम का उपयोग करते हैं, तो उसका भुगतान (रीइम्बर्स) वे अपनी सैलरी से कर देंगे. जरूरत पड़ी तो वे आम खरीद कर उन्हें दे देंगे. उन्होंने कहा कि जिनको घर मिला हुआ है, वे घर को अभी तक बनवा ही रहे हैं. सीएम हाउस में रहने का मोह नहीं जा रहा है. अब तो 2-4 महीने की ही बात है. कम समय के लिए वे रह ले.
मोदी-मांझी आम-लीची के फेर में :संजय
पटना. जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने बयान जारी कर 1, अणो मार्ग की लीची और आम को लेकर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि लगता है कि मोदी आम और लीची खाने के लिए अपना मुंह पिजाये हुए हैं. जीतनराम मांझी ने उनको न्योता दिया होगा कि आम और लीची खाने आइए, तभी तो सुशील मोदी इतने आगबबूला हो गये हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आम की चिंता नहीं अवाम की चिंता करते हैं. जदयू की जिला प्रवक्ता सह महादलित प्रकोष्ठ की अध्यक्ष सागरिका चौधरी ने कहा कि मांझी के पास मुद्दे नहीं हैं. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता 10 करोड़ अवाम है. वहीं मांझी की चिंता आम और लीची है.

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