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बदहाल शिक्षा: रोकी प्रिंटिंग, 25% बच्चों को नहीं मिल पायेंगी किताबें, तो कैसे हो पढ़ाई
पटना: इस बार भी सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को कम किताबों से ही काम चलाना पड़ेगा. विभाग द्वारा तय लक्ष्य के विरुद्ध 25 फीसदी किताबों में कटौती कर दी गयी है. इससे अब क्लास में पढ़ रहे 100 बच्चों में 75 बच्चों को किताबें तो मिलेगी, लेकिन 25 फीसदी बच्चों को बिना किताब की […]
पटना: इस बार भी सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों को कम किताबों से ही काम चलाना पड़ेगा. विभाग द्वारा तय लक्ष्य के विरुद्ध 25 फीसदी किताबों में कटौती कर दी गयी है. इससे अब क्लास में पढ़ रहे 100 बच्चों में 75 बच्चों को किताबें तो मिलेगी, लेकिन 25 फीसदी बच्चों को बिना किताब की ही पढ़ाई करनी होगी. विभाग के निर्देश पर बिहार टेक्स्ट्बुक कॉरपोरेशन ने किताबों की प्रिटिंग काम बंद करा दिया गया है. इससे इस वर्ष 25 फीसदी बच्चों को किताबों के बगैर पढ़ाई करनी पड़ेगी.
दो करोड़ बच्चों के लिए छापी जानी थीं किताबें
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से प्रतिवर्ष बिहार टेक्स्ट बुक कॉरपोरेशन द्वारा किताबें पिंट्र करायी जाती है. पहली से आठवीं कक्षा की किताबों का प्रिंट कर उसे अलग-अलग सेट तैयार कर स्कूलों में बच्चों को भेजा जाता है. सत्र 2015 के लिए पूरे बिहार भर में दो करोड़ छह लाख 77 हजार 827 बच्चों के लिए किताबें प्रिंट किया जाना था. इसके लिए 356 करोड़ का टेंडर भी किया गया था. बावजूद इसके अप्रैल माह में इन किताबों में कटौती कर एक करोड़ 60 लाख 29 हजार 988 कर दी गयी है.
वर्ष 2014 में भी कम कर दी गयी थीं किताबें
टेक्स्ट बुक के अधिकारियों की मानें, तो अचानक 25 फीसदी किताबों में कटौती करने से कई तरह की परेशानियां हो गयी हैं. 70 फीसदी किताबों का डिस्ट्रिब्यूशन प्रखंडों में किया जा चुका है. ऐसे में अब अतिरिक्त किताबों की प्रिटिंग रोक दी गयी है. इससे कुछ प्रखंडों में बच्चों को कम किताबों से ही काम चलाना पड़ेगा. वहीं, वर्ष 2013-14 तय लक्ष्य के अनुसार किताबों में कटौती की गयी थी, जबकि 2014-15 में एक करोड़ 97 लाख 66 हजार 959 हजार किताबें प्रिंट की गयी थी.
अलग-अलग तरीके से डाटा की बात
डाइस ( डिस्ट्रिक इनफारमेंशन सिस्टम) की मानें पूरे बिहार भर में स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या दो करोड़ छह लाख 77 हजार 827 है. वहीं, छात्रवृत्ति व पोशाक योजना के मुताबिक बच्चों की संख्या एक करोड़ 60 लाख 29 हजार 988 होने से किताबों में 25 फीसदी कमी की गयी है, जबकि योजना का लाभ उन्हीं बच्चों को दिया जाता है, जिनकी उपस्थिति 75 फीसदी होती है. ऐसे में विभाग द्वारा योजनाओं के आकलन से बच्चों को किताबों में कटौती करने की बात समझ से परे है. बालक मध्य विद्यालय गोलघर पार्क में कुल पढ़नेवाले बच्चों की संख्या 350 हैं, जबकि किताबें मात्र 250 बच्चों के लिए ही पहुंच सकी है. 150 बच्चों को अब तक किताब नहीं मिलने से पुराने किताबों से काम चलाया जा रहा है. स्कूल के शिक्षक प्रणीत कुमार बताते हैं कि किताबें नहीं मिलने से बच्चे पुरानी किताबों से जल्दी नहीं सीख पाते हैं, क्योंकि वर्ग वन और टू में वर्क बुक होने से पुराने किताबें भरी हुई हैं. बच्चे कॉपी पर लिख कर ही पढ़ाई कर पायेंगे. बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के डॉ उदय कुमार ने बताया कि प्रति वर्ष स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या के अनुसार किताबें छापने की सूची तैयार की जाती हैं. इस वर्ष भी डाइस डाटा के अनुसार बच्चों की संख्या भेजी गयी थी. बावजूद 25 फीसदी कटौती कर दी गयी है. इससे इस वर्ष बच्चों को 75 फीसदी किताबों से काम चलाना पड़ेगा.
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