एक्सपर्ट की मानें, तो स्टूडेंट्स का च्वाइस अच्छे आइआइटी में जाना होता है. ऐसे में कम रैंकवाले स्टूडेंट्स जेइइ एडवांस की तैयारी से अच्छा एनआइटी जैसी संस्थाओं में एडमिशन लेना चाहते हैं. वे अपनी तैयारी के स्तर को समझते हुए जेइइ एडवांस टेस्ट से आइआइटी में एडमिशन लेने की उम्मीद करने के बजाय एनआइटी में एडमिशन लेना बेहतर समझ रहे हैं.
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नये आइआइटी में एडमिशन नहीं लेना चाहते छात्र
पटना: ज्वाइंट एट्रेंस एक्जाम (जेइइ) एडवांस 2015 में वहीं स्टूडेंट्स शामिल होते हैं, जिन्हें जेइइ मेन में अच्छा रैंक आया हो. देश भर के जेइइ मेन के 1.5 लाख स्टूडेंट्स को ही जेइइ एडवांस में रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिलती है. इस बार भी 1.5 लाख स्टूडेंट्स को ही रजिस्टर्ड होना था, लेकिन इस साल यह […]
पटना: ज्वाइंट एट्रेंस एक्जाम (जेइइ) एडवांस 2015 में वहीं स्टूडेंट्स शामिल होते हैं, जिन्हें जेइइ मेन में अच्छा रैंक आया हो. देश भर के जेइइ मेन के 1.5 लाख स्टूडेंट्स को ही जेइइ एडवांस में रजिस्ट्रेशन की अनुमति मिलती है. इस बार भी 1.5 लाख स्टूडेंट्स को ही रजिस्टर्ड होना था, लेकिन इस साल यह ग्राफ इसके नीचे चला गया है. जेइइ एडवांस के लिए सिर्फ 1.24 लाख स्टूडेंट्स ने ही रजिस्ट्रेशन कराया है. क्वालिफाइ होने के बावजूद कैंडिडेंट्स एडवांस में शामिल नहीं हो रहे हैं.
जेइइ मेन के कम रैंकवाले को मिलता है अच्छा एनआइटी
जेइइ मेन का कट ऑफ इस बार 105 पर गया है. अब जिन स्टूडेंट्स को जेइइ मेन में कम रैंक मिला है, वे जेइइ एडवांस नहीं देना चाहते हैं. जेइइ एडवांस के बदले ऐसे स्टूडेंट्स एनआइटी, दूसरे अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज या फिर प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेकर अपना कैरियर संवारना चाहते हैं. पटना के रोहित शर्मा को जेइइ मेन में 120 रैंक मिला है. रोहित शर्मा बताते हैं कि जेइइ मेन के लिए 12वीं का रिजल्ट का 40 फीसदी वेटेज और जेइइ मेन का 60 फीसदी वेटेज लेकर ऑल इंडिया रैंक तैयार किया जाता है. ऐसे में जेइइ मेन में कम रैक मिलने से एडवांस में सफल होना कठिन होता है. इस कारण जेइइ एडवांस की तैयारी में समय देने से अच्छा है कि दूसरे इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन मिल जाये. वहीं, जेइइ मेन में 115 रैंक प्राप्त अमित कपूर ने बताया कि जो रैंक मुङो मिला है, उसमें अच्छे एनआइटी में नामांकन हो जायेगा.
पांच हजार से कम रैंक पर ही मिलता है अच्छा आइआइटी
जेइइ मेन जहां ऑब्जेक्टिव टाइप लिया जाता है, वहीं जेइइ एडवांस पूरी तरह सब्जेक्टिव होता है. ऐसे में स्टूडेंट्स को जेइइ एडवांस की तैयारी के लिए सिर्फ एक महीने का समय मिलता है. इस बीच जो भी प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश परीक्षाएं ली जाती हैं, वे सारा ऑब्जेक्टिव होती हैं. ऐसे में स्टूडेंट्स अपना मूल्यांकन खुद कर लेते हैं कि वे एडवांस क्रैक कर पायेंगे या नहीं. एनआइटी को लेकर कई स्टूडेंट्स आश्वस्त रहते हैं. इसके अलावा कई बड़े निजी संस्थान भी स्टूडेंट्स की च्वाइस में हैं, जिनकी वे प्रिपरेशन करते हैं.168 रैंक प्राप्त राहुल राय ने बताया कि जेनरल केटेगरी के स्टूडेंट्स को कम रैंक मिलने पर अच्छा आइआइटी कॉलेज नहीं मिल पाता है. ऐसे में हम इस रैंक पर अच्छे एनआइटी में नामांकन ले लेंगे. एक्सपर्ट संजय कुमार की मानें, तो स्टूडेंट्स दो केटेगरी में बंटते जा रहे हैं. कुछ स्टूडेंट्स जेइइ मेन को, तो कुछ जेइइ एडवांस को टरगेट करके चलते हैं.
इंतजार है ऑल इंडिया रैंक का
जेइइ मेन में सफल अधिकतर स्टूडेंट्स सीबीएसइ द्वारा जारी होनेवाले ऑल इंडिया रैंक का इंतजार कर रहे हैं. सात जुलाई को जारी ऑल इंडिया रैंक से स्टूडेंट्स को कॉलेज में नामांकन के बारे में जानकारी मिल जायेगी. इसमें उन स्टूडेंटस के रैंक को अधिक वेटेज दिया जायेगा, जो जेइइ मेन के 1.5 लाख स्टूडेंट्स के केटेगरी में आये है. ऑल इंडिया रैंक मिलने के बाद ही अन्य कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होती है. ऐसे में स्टूडेंट्स को इसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है जो रैंक उन्हें मिला है, उसके तहत उन्हें किस इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन मिल जायेगा.
जेइइ एडवांस संबंधित जानकारी
एक्सपर्ट व्यू
आज के स्टूडेंट्स पहले से अपना लक्ष्य तय करके चलते हैं. यही वजह है कि अपनी पूरी एनर्जी एडवांस में लगाने की बजाय वे इंजीनियरिंग के दूसरे कॉम्पीटिशन की भी तैयारी करते हैं. अब 16 आइआइटी के अलावा चार नयी आइआइटी के आने के बाद सीटें बढ़ कर 11000 तक हो गयी है. लेकिन, सामान्य वर्ग को रैंक पांच हजार तक ही मिल पाता है, इसलिए स्टूडेंट्स विकल्प चुन कर रखते हैं.
एसके ठाकुर, एक्सपर्ट, सेंट माइकल हाइस्कूल
आइआइटी में सामान्य स्टूडेंट्स को अच्छा रैंक मिलना कठिन होता हैं. जेइइ एडवांस का कटऑफ काफी हाइ जाता है. ऐसे में सामान्य स्टूडेंट्स पिछड़ जाते हैं. 12वीं बोर्ड के 40 फीसदी मार्क्स का वेटेज और 60 फीसदी जेइइ मेन के मार्क्स का वेटेज लाने में भी स्टूडेंट्स पिछड़ जाते हैं. अगर 12वी ं में कम रैंक मिला, तो स्टूडेंट्स को अच्छे आइआइटी में नामांकन लेना कठिन हो जायेगा. इस कारण अब इस ओर से स्टूडेंट्स का पलायन होने लगा है.
संजय कुमार, एक्सपर्ट, लोयला हाइस्कूल
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