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बहुत प्रयोग हुए, कुछ ठोस कीजिए आइजी साहब!

पटना: कभी एशिया का सबसे बड़ा सेतु कहा जाने वाला महात्मा गांधी सेतु उद्घाटन के बीस साल बाद से ही जजर्र स्थिति में है. इसकी हालत इतनी जजर्र हो चुकी है कि राज्य सरकार के पथ निर्माण मंत्री ने भी कह दिया है कि गांधी सेतु वेंटिलेटर पर है और कभी भी गिर सकता है. […]

पटना: कभी एशिया का सबसे बड़ा सेतु कहा जाने वाला महात्मा गांधी सेतु उद्घाटन के बीस साल बाद से ही जजर्र स्थिति में है. इसकी हालत इतनी जजर्र हो चुकी है कि राज्य सरकार के पथ निर्माण मंत्री ने भी कह दिया है कि गांधी सेतु वेंटिलेटर पर है और कभी भी गिर सकता है.

पिछले दस साल से इसकी मरम्मत को लेकर कई बार उपाय किये गये, लेकिन स्थायी सफलता नहीं मिली. फिलहाल सेतु के पाया संख्या 44 की कटिंग का काम चल रहा है. पाया संख्या 38 से 46 के बीच का हिस्सा क्षतिग्रस्त होने की वजह से इसके स्पैन को हटा दिया गया है, जिससे हाजीपुर से पटना और पटना से हाजीपुर के बीच चल रहे वाहनों को एक ही लेन में चलाने की मजबूरी है. जिला प्रशासन ने इस पुल से बड़े वाहनों के आवागमन पर भी रोक लगा रखी है, बावजूद हर दिन पुल से लेकर एनएच तक घंटों जाम लगा रहता है. इस जाम से निजात के लिए राज्य सरकार के तमाम प्रयास अब तक नाकाफी रहे.

अब एक बार फिर से राज्य सरकार की पहल पर पुलिस मुख्यालय ने आइजी ( प्रोविजन) पंकज दराद को नोडल पदाधिकारी बनाते हुए जाम की समस्या से निजात दिलाने की पूरी प्लानिंग व उसकी मॉनीटरिंग की जिम्मेवारी सौंपी है. अब आइजी साहब जाम से निबटने की नयी प्लानिंग बनायेंगे,लेकिन उनका यह प्रयास पिछले प्रयास से कितना अलग होगा? इसको समझने के लिए ‘ प्रभात खबर ’ ने महात्मा गांधी सेतु पर सुगम परिचालन बहाल रखने को लेकर अब तक लिये गये प्रशासनिक प्रयासों पर एक दृष्टि डाली है. अगर इन प्रयासों को अमली जामा पहनाया जाये,तो शायद महात्मा गांधी सेतु के नियमित भीषण जाम से आम लोगों को स्थायी मुक्ति मिल सकती है.

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