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जेइ व एइएस को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क

पटना: मौसम बदलते ही बिहार में एक बार फिर जापानी बुखार (जेइ) व एइएस को लेकर अलर्ट जारी हो गया है. स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को एक बार फिर बैठक कर सभी मेडिकल कॉलेज से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया है. मुजफ्फरपुर,भागलपुर व गया में जागरूकता अभियान शुरू किया गया […]

पटना: मौसम बदलते ही बिहार में एक बार फिर जापानी बुखार (जेइ) व एइएस को लेकर अलर्ट जारी हो गया है. स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को एक बार फिर बैठक कर सभी मेडिकल कॉलेज से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के डॉक्टरों को अलर्ट कर दिया है. मुजफ्फरपुर,भागलपुर व गया में जागरूकता अभियान शुरू किया गया है और लोगों को जागरूक करने के लिए पंपलेट भी बांटे जा रहे हैं. सभी सिविल सजर्न को आदेश दिया गया है कि जिस बच्चे में जेइ का लक्षण मिले, उसे तुरंत अस्पताल पहुंचाएं व बच्च अधिक गंभीर हो, तो उसे मेडिकल कॉलेज में रेफर कर इसकी सूचना मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को भी दें. अभियान में आंगनबाड़ी सेविका व आशा को जोड़ा गया है और गांव व स्लम क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को बीमारी के बारे में बताये. अभियान में जो बेहतर काम करेंगे, उन्हें सरकार प्रोत्साहित करेगी.
पानी की भी होगी जांच, टीम गठित
हाल के दिनों में एम्स, पटना की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि इस बीमारी का कारण गंदा पानी है. विभाग ब्लॉक स्तर पर पानी की जांच करायेगा. पिछले साल भी यह किया गया था, लेकिन उसका कुछ खास फायदा देखने को नहीं मिला था. बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग इस कार्य को दोबारा करेगी, ताकि इस बार कहीं से किसी तरह की चूक न हो. इसके लिए एक टीम का गठन किया जायेगा और इसकी रिपोर्ट भी सिविल सजर्न
कार्यालय में देनी होगी.
निजी अस्पतालों को रखना होगा आंकड़ा
अगर इस बीमारी की चपेट में आनेवाला कोई भी व्यक्ति अपना इलाज किसी निजी अस्पताल में कराता है, तो उसे इलाज के साथ पूरी जानकारी सिविल सजर्न कार्यालय को देनी होगी. जो ऐसा नहीं करेगा और इसकी पुष्टि होगी, तो उस नर्सिग होम पर कार्रवाई की जायेगी. इसलिए निजी अस्पतालों को जेइ का लक्षण मिलने के बाद तुरंत उसकी जानकारी सिविल सजर्न को देनी है.
जेइ को लेकर अस्पताल में पूरी तैयारी है. हर साल इसी मौसम में यह बीमारी तेजी से बढ़ता है और इसकी चपेट में बच्चे आते हैं. इस कारण से शिशु विभाग में अलग से वार्ड भी तैयार किया गया है. पिछले एक सप्ताह के भीतर जांच के लिए 18 से अधिक सैंपल विभाग में आये हैं, लेकिन अभी तक सभी रिपोर्ट निगेटिव पाये गये हैं.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति में जेइ से लड़ने की रणनीति बनायी गयी है. सभी जिला के एसीएमओ व चिकित्सा पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. क्योंकि चिकित्सा पदाधिकारी को ही जेइ के लिए नोडल ऑफिसर बनाया गया है. यह बीमारी इस बार फैले नहीं, इसको लेकर भी तेजी से काम हो रहा है.
डॉ केके मिश्र, सिविल सजर्न, पटना

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