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भगवान वर्णों में भेद नहीं करते : शंकराचार्य

शिव सर्वोपरि है : अखिलानंदमहिलाओं का सम्मान जरूरी : त्रिपाठीफोटो-23 (फोटो पेज पर)संवाददाता, कुचायकोटबेटी-रोटी के संबंध के लिए वर्ण व्यवस्था ठीक है. देश काल धर्म के लिए वर्णों के बीच एकता सामंजस्य अति आवश्यक है. भगवान कभी भी वर्णों में भेदभाव नहीं करते हैं. समान भाव से सभी के ऊपर भगवान की असीम कृपा बनी […]

शिव सर्वोपरि है : अखिलानंदमहिलाओं का सम्मान जरूरी : त्रिपाठीफोटो-23 (फोटो पेज पर)संवाददाता, कुचायकोटबेटी-रोटी के संबंध के लिए वर्ण व्यवस्था ठीक है. देश काल धर्म के लिए वर्णों के बीच एकता सामंजस्य अति आवश्यक है. भगवान कभी भी वर्णों में भेदभाव नहीं करते हैं. समान भाव से सभी के ऊपर भगवान की असीम कृपा बनी रहती है. स्थानीय प्रखंड के सिपाया दूबे टोले में आयोजित शिव परिवार प्राणप्रतिष्ठा महायज्ञ के चौथे दिन अपने संबोधन में शंकराचार्य महेशाश्रमजी महाराज ने कहा कि यदि वर्ण व्यवस्था समाप्त हो जाये, तो बाप-बेटी के बीच का रिश्ता भी समाप्त हो जायेगा. स्वयं पर अनुशासन एवं नियंत्रण के लिए वर्ण व्यवस्था अति आवश्यक है. भगवान के अनुशासन को मान कर धर्म मार्ग पर चलता है. वही भगवान को सबसे ज्यादा प्रिय है. जात-पांत, उच्च-नीच, अमीर-गरीब सब समाज की विकृति हैं. सबरी के जूठे बेर भगवान ने खाया तथा केवट के साथ गंगा पार किया. जटायु ने गिद्ध को गले लगाया तथा जंगल के साथियों के साथ प्रवास किया. भगवान ने अपने चरित्र से साबित कर दिया कि केवल भक्त प्यारा है. चाहे वह कोई हो. यज्ञाचार्य डॉ पंकज शुक्ला ने कहा कि व्यक्ति का व्यवसाय और कर्म अलग-अलग हो सकता है, लेकिन भगवान की भक्ति सबकी एक है. इसलिए भक्ति की सर्वोपरि है. वहीं, डॉ अखिलानंद शास्त्री ने कहा कि शिव का स्वरूप सर्वोपरि है. व्यक्ति का शरीर शिव तत्व है. शिव तत्व प्रत्येक प्राणी में है. यहां समाज के बीच समानता है. इस मौके पर सुरेंद्र दूबे, हरेंद्र दुबे, विनोद सिंह, कृष्ण चौहान, डॉ ललन पंडित, सुबास तिवारी, देवानंद तिवारी, मंटू राय आदि उपस्थित थे.

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