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कुरआन किसी एक धर्म के लोगों का नहीं

‘कुरान ए फहमी’ का आयोजन संवाददाता, पटना ‘कुरआन किसी एक धर्म के लोगों का नहीं है बल्कि यह सभी धर्म के लोगों के लिए है. अगर यह कोई सोचता है कि यह किसी एक धर्म या संप्रदाय का है, तो यह उनकी गलतफहमी है. इस धरती पर हर किसी को जीने का हक है और […]

‘कुरान ए फहमी’ का आयोजन संवाददाता, पटना ‘कुरआन किसी एक धर्म के लोगों का नहीं है बल्कि यह सभी धर्म के लोगों के लिए है. अगर यह कोई सोचता है कि यह किसी एक धर्म या संप्रदाय का है, तो यह उनकी गलतफहमी है. इस धरती पर हर किसी को जीने का हक है और उसे खुदा ने कुरआन दिया है.’ मस्जिद अब्दुल हई में आयोजित ‘कुरआन ए फहमी’ में ये बातें दिल्ली के जमाते इस्लामी हिंद के सचिव मौलाना रफीक काजमी ने कहीं. उन्होंने ‘कुरआन का संदेश इनसानियात के नाम’ विषय पर विस्तार पूर्वक अपने विचार रखे. यह ग्यारह दिन तक पटना मुसलिम स्कूल रमना रोड में टीचर्स के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम था और बुधवार को मस्जिद अब्दुल हई में यह समाप्त हुआ. इस मौके पर टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम में शरीक होने वाले 50 से ज्यादा शिक्षकों को सर्टिफिकेट से नवाजा गया. मौलाना रफीक ने आगे कहा कि कुरआन को अपने घर में रखना चाहिए. जिस तरह से हम अपने कीमती चीजों को घर में जगह देते हैं. कुरआन तो सबसे कीमती चीज है. कुरान तमाम इनसान का है. यह हिंदू, सिख, इसाई या फिर कोई भी धर्म या संप्रदाय सभी के लिए है. बच्चों को उनके बचपने से ही कुरआन की तालीम देनी चाहिए. जिस तरह हवा और पानी जरूरी है उसी तरह से कुरान भी हमारे लिए जरूरी है. अब तो कुरआन हिंदी और अंग्रेजी में भी मौजूद है. अरबी को भी हिंदी में लिख दिया गया है. यह सबके लिए है. कुरआन को अपने सिद्धांतों में अपनाने की जरूरत है. मौके पर डॉ एए हई, डॉ एसएन ओसामा, एडवांटेज मीडिया के खुर्शीद अहमद, मंजूर आलम, मौलाना मिसबुद्दीन भी मौजूद थे. डॉ शत्रुघ्न किशोर, संजीव राय, भरत जी ने भी कुरआन पर अपने विचार रखे.

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