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सिर्फ 5 घंटे में पटना पहुंचने का लक्ष्य : सीएम

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब राज्य में ‘ट्रैवेल टाइम’ को कम करने के लिए पथ निर्माण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों और निगमों को नया टास्क सौंपा है. इसके तहत अब राज्य के किसी शहर या स्थान से पटना पहुंचने में छह के स्थान पर पांच घंटे का ही समय लगना चाहिए. उन्होंने […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अब राज्य में ‘ट्रैवेल टाइम’ को कम करने के लिए पथ निर्माण विभाग समेत सभी संबंधित विभागों और निगमों को नया टास्क सौंपा है. इसके तहत अब राज्य के किसी शहर या स्थान से पटना पहुंचने में छह के स्थान पर पांच घंटे का ही समय लगना चाहिए. उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सड़कों व पुलों की संख्या बढ़ाने की बात कही है. इसके लिए ग्रामीण सड़कों को भी खासतौर से दुरुस्त करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि सड़कों की गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए. गुणवत्ता हर हाल में कायम रहनी चाहिए. सीएम सोमवार को बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएसआरडीसी) के 6वां स्थापना दिवस समारोह का उद्घाटन कर रहे थे. बीएसआरडीसी के कार्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान एक मास्टर प्लान का प्रस्तुतिकरण किया गया, जिसमें 2015-35 तक राज्य में सड़कों की जरूरतों और विकास की जानकारी दी गयी.
छह घंटे का कन्सेप्ट अब पुराना
सीएम ने कहा कि छह घंटे का कॉन्सेप्ट पहले का था, अब इसे घटाने का समय आ गया है. आज हर चीज का तेजी से विकास हो रहा है, रोजाना नयी तकनीक और चीजों का विकास हो रहा है.
ऐसे में दूरी तय करने में लगनेवाले समय को कम करने के टास्क को हासिल करना कोई बड़ी चुनौती नहीं है. सड़क को दुरुस्त रखना बेहद जरूरी है. सड़क के बिना प्रगति संभव नहीं है. मेंटेनेंस पॉलिसी के जरिये इसे बरकरार रखा जा सकता है.
सीएम ने दिये ये सुझाव
सीएम ने कहा कि कॉरपोरेशन की कार्यशैली प्रोफेशनल ढंग की हो, सरकारी कार्यशैली से बिलकुल अलग. काम में गति आनी चाहिए. काम की सूची तैयार करनी चाहिए और इसे पूरा करने में समय की गणना करनी चाहिए. किसी प्रोजेक्ट की परिकल्पना और अध्ययन के बाद इसे पूरा करने में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. इसे दूर करके आगे बढ़ने की जरूरत है.
परिकल्पना से क्रियान्वयन तक के टाइम फ्रेम को जितना कम कर पायेंगे, वह कुशलता को प्रमाणित करेगा. भविष्य में कितनी ट्रैफिक का दबाव बढ़ेगा, इसकी कल्पना अभी से करके रणनीति तैयार कर काम करने की जरूरत है, ताकि यातायात में सुगमता बनी रहे.
पथ निर्माण मंत्री ललन सिंह ने कहा कि केंद्र ने कई योजनाओं को समय पर पूरा नहीं किया, तो बिहार को इसे पूरा करना पड़ा रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र को हम काम देने के लिए तैयार हैं, लेकिन शर्त है कि वह राज्य की तय समयसीमा में कार्य को पूरा करने का वादा करे.
कंपनियां व कर्मी सम्मानित
कार्यक्रम के दौरान सीएम ने बेहतर काम करनेवाली कंपनियों और कर्मचारियों को सम्मानित किया. श्रेष्ठ कर्मचारियों की सूची में एक विकलांग कर्मचारी ब्रजेश कुमार का भी नाम था. स्टेज पर चढ़ने में उसकी समस्या को देखते हुए सीएम ने स्टेज से नीचे उसके पास जाकर ही उसे सम्मानित किया. ब्रजेश निगम में मैनेज के पद पर कार्यरत हैं.
पटना : राज्य में 2015 से 2035 तक के लिए सड़कों का विशेष मास्टर प्लान तैयार किया गया है. इसमें ट्रैफिक की सुगमता को बनाये रखने के लिए खासतौर से रणनीति तैयार की गयी है. इसका प्रस्तुतिकरण सोमवार को बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के स्थापना दिवस समारोह में किया गया.
प्रमुख बातें
– 20 साल में एक लाख करोड़ की जरूरत पड़ेगी
– 2035 तक स्टेट हाइवे की लंबाई नौ हजार हो जायेगी
– 2025 तक ट्रैवेल टाइम को 50% कम करने का लक्ष्य
– 20 साल में ग्रामीण रोड नेटवर्क को विकसित करना और प्रमुख जिलास्तरीय रोड को स्टेट हाइवे में बदलना
– राज्य में उन शहरों या स्थानों को चिह्न्ति करना, जहां ट्रैफिक का बोझ काफी बढ़नेवाला है.
एनएच की हालत चिंताजनक
सीएम ने कहा कि राज्य में एनएच की हालत चिंताजनक है. इसे ठीक किया जाना चाहिए. उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़नेवाले किसी पुल की हालत अच्छी नहीं है. केंद्र को घेरते हुए कहा कि कच्ची दरगाह और बिदुपुर के बीच बननेवाले छह लेन पुल में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की दिलचस्पी बढ़ी है. लेकिन, अंत समय में इस तरह की दिलचस्पी कभी-कभी घातक साबित हो जाती है. पटना-गया-डोभी फोरलेन के निर्माण में भी केंद्र ने अंत समय में कहा कि हम करेंगे. अब नतीजा है कि नये सिरे से उन्हें पूरा काम करना पड़ेगा, ऐसे में पांच साल कम-से-कम समय लगेगा.

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