पटना: पटना जिले में बाल विकास परियोजना द्वारा संचालित किये जा रहे आंगनबाड़ी केंद्र समस्याओं के मकड़जाल में घिरे हुए है. आंगनबाड़ी केंद्रों में सहायिकाओं व सेविकाओं की काफी कमी है. वर्तमान स्थिति यह है कि जिले में सेविकाओं के 279 व सहायिकाओं के 379 पद खाली पड़े हुए हैं. इन पदों पर नियुक्ति नहीं होने के कारण केंद्रों के बेहतर संचालन में काफी समस्याएं आ रही है. रिक्त पदों के कारण कई केंद्र बिना सहायिका के ही संचालित हो रहे हैं, तो कई केंद्र सेविकाओं के भरोसे है.
इसके कारण बच्चों में ना तो पोषक तत्वों का सही ढंग से वितरण हो पा रहा है और ना ही बेहतर शिक्षा ही मिल रही है. डेढ़ वर्षो से ये पद रिक्त है और प्रशासन इनकी नियुक्ति को लेकर गंभीर नहीं है. केंद्र संचालन के लिए सेविकाओं के नहीं रहने के कारण भी केंद्र शुरू नहीं हो पा रहे हैं. इसी के कारण आंगनबाड़ी में तय से ज्यादा बच्चे भी पढ़ रहे हैं.
नहीं संचालित हो रहे सभी आंगनबाड़ी केंद्र : इसके साथ ही और समस्याएं भी पहले की तरह मुंह बायें खड़ी है. अभी जितने आंगनबाड़ी केंद्र स्वीकृत हैं उतने केंद्र का संचालन भी नहीं हो पा रहा है. आंकड़ों के मुताबिक अभी जिले में कम-से-कम 4475 आंगनबाड़ी संचालित होने चाहिए थे, लेकिन 4100 केंद्र ही चल रहे हैं. यानी 375 आंगनबाड़ी अभी भी शुरू होने की राह देख रहे हैं. केंद्र शुरू नहीं होने का सबसे बड़ा कारण है किराये का जगह का नहीं मिलना.
एक हजार और आंगनबाड़ी केंद्र को मिली है स्वीकृति
इन सबके बीच एक जानकारी यह भी है कि जिले में 1000 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र की स्वीकृति भारत सरकार से मिल चुकी है. केंद्र सरकार के नए नियम के मुताबिक 800 तक की जनसंख्या वाले इलाके में एक नियमित केंद्र खोला जाना है और यदि जनसंख्या 800 से कम हुई, तो मिनी आंगनबाड़ी केंद्र खोला जाना है. इसके साथ ही रेगुलर केंद्र के लिए अपना भवन बनाया जाना है.
जुलाई के पहले हो जायेगी नियुक्ति
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी गोपाल प्रसाद कहते हैं कि खाली पदों के कारण आंगनबाड़ी के संचालन में काफी समस्याएं हो रही है. सभी खाली पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया है. जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और जुलाई के पहले रिक्त पदों पर नियुक्ति हो जायेगी.