मामले का खुलासा तब हुआ, जब उन कॉलेजों में छात्र नामांकन के बाद पढ़ाई करने के लिए पहुंचे. हकीकत जान कर उनके पैरों तले जमीन खिसक गयी. इस पर छात्रों ने उनके कॉलेज की वेबसाइट पर नाम अंकित होने की जानकारी दी. वेबसाइट खोली गयी, तो वे फर्जी निकली. कई संस्थानों के संचालक इस बात की शिकायत करने के लिए पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन मामला उनके थाना क्षेत्र के नहीं होने के कारण प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी.
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बिहार के कई बीएड कॉलेजों के नाम पर लगाया चूना, फर्जी वेबसाइट बना कर लाखों की ठगी
पटना: बिहार के चार बीएड ट्रेनिंग कॉलेजों की फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजों ने दर्जनों छात्रों को नामांकन कराने के नाम पर लाखों ठग लिये. इतना ही नहीं फर्जी वेबसाइट पर उनका नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर डाल कर इस बात की पुष्टि भी कर दी कि उनका उस कॉलेज में नामांकन हो गया है और […]
पटना: बिहार के चार बीएड ट्रेनिंग कॉलेजों की फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजों ने दर्जनों छात्रों को नामांकन कराने के नाम पर लाखों ठग लिये. इतना ही नहीं फर्जी वेबसाइट पर उनका नाम व रजिस्ट्रेशन नंबर डाल कर इस बात की पुष्टि भी कर दी कि उनका उस कॉलेज में नामांकन हो गया है और अब वे वहां क्लास करने के लिए जा सकते हैं.
तीन अन्य कॉलेजों में भी फर्जीवाड़ा
इन कॉलेजों की वेबसाइट सैम सॉफ्टेक कंसलटेंसी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनायी गयी थी. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मधु रंजन कुमार ने बताया कि इस तरह की घटना बख्तियारपुर स्थित कमलेश्वरी प्रसाद सिंह टीचर ट्रेनिंग कॉलेज, जहानाबाद के रघु सरोज वेलफेयर एंड चैरिटेबल ट्रस्ट तथा मसौढ़ी के विद्या निकेतन टीचर ट्रेनिंग स्कूल के साथ भी हुई है. इन संस्थानों की भी फर्जी वेबसाइट बना कर जालसाजी कर कई छात्रों से पैसे ऐंठ लिये गये. उन्होंने कहा कि उनकी संस्था ने अब तक 12 बीएड कॉलेजों की वेबसाइट को बनाया है. अभी अन्य वेबसाइट को भी चेक किया जा रहा है.
-: सरकारी बीएड कॉलेज :-
सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, तुर्की, मुजफ्फरपुर – 100 सीटें
सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, भागलपुर – 100
सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, सहरसा – 100
सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, छपरा – 100
गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन, समस्तीपुर – 100
प्राइवेट बीएड कॉलेजों में कुल सीटें – सभी में करीब 100-100 सीटें
पटना ट्रेनिंग कॉलेज – 90
वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज, पटना – 120
फी स्ट्रक्चर :-
विश्वविद्यालयों के बीएड कॉलेजों में करीब 65 हजार रुपये
प्राइवेट बीएड कॉलेजों में 1.20 से 1.50 लाख तक
नोट : नये सत्र 2015-17 से बीएड कोर्स दो साल का होने जा रहा है. इससे फीस भी दोगुनी हो जायेगा. सभी विश्वविद्यालय व निजी संस्थान अपने-अपने स्तर पर फीस बढ़ायेंगे. बीआरए बिहार विवि ने दो साल के बीएड कोर्स के लिए फीस बढ़ाकर 1.30 लाख कर दिया गया है. वहीं, प्राइवेट बीएड कॉलेजों ने 2.20 लाख से तीन लाख तक फीस कर दिया है. बिहार में बीएड कॉलेजों, उसकी मान्यता, सीटों की संख्या की जानकारी के लिए एनसीटीइ (नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन) की साइट पर जाकर देखा जा सकता है. गुगल पर एनसीटीइ बिहार लिखने पर बीएड कॉलेजों की संख्या, जिला वार नाम सामने आ जाते हैं.
कोलकाता से हो रहा खेल
यह सारा खेल कोलकाता से चल रहा है. छात्रों से इन बीएड कॉलेजों में नामांकन के लिए 50 से 70 हजार रुपये लिये गये और उनका नाम वेबसाइट पर दिखा दिया गया कि आपका नामांकन हो गया है. ये सारे पैसे कैश ही लिये गये थे. छात्रों से पहले आवेदन फॉर्म भरवाया गया और उसमें उनके मोबाइल नंबर ले लिये गये. फॉर्म में एक मोबाइल नंबर का भी कॉलम था. छात्रों ने उस कॉलम को भर दिया तो छात्रों के मोबाइल नंबर आसानी से जालसाजों के हाथ लग गये और फिर फोन कर बुलाया गया और कैश ले
लिया गया.
मूल वेबसाइट में डॉट कॉम, तो फर्जी में है डॉट ओआरजी
मूल वेबसाइट से एकदम मिलती-जुलती फर्जी वेबसाइट बनायी गयी है. कॉलेज का नाम, प्रतीक चिह्न्, संचालक, शिक्षकों का नाम एक दम मूल वेबसाइट की तरह है. मूल वेबसाइट के अंत में डॉट कॉम है, जबकि फर्जी वेबसाइट के अंत में डॉट ओआरजी कर दिया गया है. मसलन नालंदा के हरनौत में रामकृपाल सिंह टीचर ट्रेनिंग कॉलेज है. इस कॉलेज की मूल वेबसाइट आरकेएसटीटीसी डॉट कॉम है, जबकि फर्जी वेबसाइट आरकेएसटीटीसी डॉट ओआरजी है. फर्जी वेबसाइट में केवल एक परिवर्तन है और वह है स्टूडेंट कॉर्नर में रजिस्ट्रेशन नंबर की जानकारी देना. इसमें रजिस्ट्रेशन नंबर डालने पर नामांकन लेनेवाले छात्रों का नाम आ जाता है, जबकि मूल में ऐसी कोई बात नहीं है. इस संस्थान के संचालक दिनेश कुमार ने बताया कि उनके पास चार-पांच छात्र पहुंचे और बताया कि उनका नामांकन इस कॉलेज में हुआ है और उन्होंने वेबसाइट का हवाला दिया. इसके बाद उन लोगों को गड़बड़ी की जानकारी मिली.
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