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राख पड़ी चिनगारी को हवा दे गयीं कला की कद्रदान

महाराजगंज (सीवान ): महाराजगंज प्रखंड का गौर कत्थक गांव, जो कभी कथक नृत्य के लिए जाना जाता था. इस गांव के इतिहास ने कथक नृत्यांगना को इस प्रकार आंदोलित किया कि वह यहां खिंची चली आयीं. इस गांव के कई परिवार कथक नृत्य को पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा के रूप में अपनाते आये थे. कालांतर […]

महाराजगंज (सीवान ): महाराजगंज प्रखंड का गौर कत्थक गांव, जो कभी कथक नृत्य के लिए जाना जाता था. इस गांव के इतिहास ने कथक नृत्यांगना को इस प्रकार आंदोलित किया कि वह यहां खिंची चली आयीं. इस गांव के कई परिवार कथक नृत्य को पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरा के रूप में अपनाते आये थे.

कालांतर में यह परंपरा टूटती गयी और बाद में वही हुआ, जो होता है. अब तो शायद गांववालों को यह याद भी नहीं रहा कि यहां कभी कथक का बोलबाला था. विलुप्त होती परंपरा को एक बार फिर याद दिलाने और लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मंगलवार को कथक की मशहूर नृत्यांगना शोभना नारायण अपनी टीम के साथ दिल्ली से गौर कथक गांव पहुंची. इनके साथ सेवानिवृत्त आइएएस गितिका कहलौर, सीवान के मत्स्य पदाधिकारी मनीष कुमार, महाराजगंज के एसडीओ मनोज कुमार, बीडीओ मुकेश कुमार, महाराजगंज के सीओ संतोष कुमार भी थे.

विलुप्त हो रहे कथक नृत्य पर कर रही हैं रिसर्च

पद्मश्री शोभना नारायण कथक नृत्य के विलुप्त होने के कारणों पर रिसर्च कर रही हैं. इसके लिए यूपी के चार व सीवान जिले के महाराजगंज प्रखंड के गौर कथक गांव को चुना है. यहां शोभना व उनकी टीम ने स्व. अंबिका मल्लिक के वंशज सच्चितानंद मिश्र, करुणाकांत मिश्र, सत्येंद्र कुमार मिश्र के परिजनों से कथक नृत्य से लगाव के बारे में जानकारी ली.

साथ ही टीम ने वर्तमान में आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारणों को भी जाना. परिजनों का कहना था कि परदादा द्वारा कथक नृत्य से 20 बिगहा जमीन व अन्य संपत्ति अजिर्त की थी.

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