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सिर्फ वीआइपी खून चूसनेवाले मच्छरों को मारता है निगम
पटना: नगर निगम प्रशासन के पास शहर के 20 लाख लोगों की सुविधा देने की जिम्मेवारी है, लेकिन उन्हें वीआइपी के अलावा किसी पर ध्यान ही नहीं जाता है. मच्छर मारने के मामले में भी निगम की कुछ ऐसी ही स्थिति है. सूत्रों की मानें तो निगम की अधिकतर फॉगिंग मशीनें खराब हैं. नूतन राजधानी […]
पटना: नगर निगम प्रशासन के पास शहर के 20 लाख लोगों की सुविधा देने की जिम्मेवारी है, लेकिन उन्हें वीआइपी के अलावा किसी पर ध्यान ही नहीं जाता है. मच्छर मारने के मामले में भी निगम की कुछ ऐसी ही स्थिति है. सूत्रों की मानें तो निगम की अधिकतर फॉगिंग मशीनें खराब हैं.
नूतन राजधानी अंचल (एनसीसी) के कार्यपालक पदाधिकारी यह मानने को तैयार नहीं हैं. वे कहते हैं कि सभी मशीनें चालू हैं और नियमित फॉगिंग करायी जा रही है. वहीं निगम के तीन अंचलों के कार्यपालक पदाधिकारी भी अधिकतर मशीनों के खराब होने की बात स्वीकारते हैं और रोटेशन पर फॉगिंग कराये जाने की बात कहते हैं. लेकिन, हकीकत यही है कि एनसीसी में सिर्फ दो फॉगिंग मशीनें ही चालू हैं, उनमें सिर्फ एक से ही काम लिया जा रहा है और इस मशीन से सिर्फ वीवीआइपी व वीआइपी की डिमांड पूरी की जा रही है, जबकि नियमित टैक्स देने वाले नागरिक भगवान भरोसे हैं. उनका खून मच्छर पीये तो पीये, लेकिन वीआइपी को कुछ नहीं होना चाहिए.
जब आफत आती है, तो जगता है निगम : पिछले वर्ष निगम क्षेत्र में मच्छर मारने की दवा का छिड़काव नहीं किया जा रहा था. जब डेंगू मच्छर का प्रकोप बढ़ा और आम लोग बीमार पड़ने लगे, तो निगम प्रशासन जगा. ऐसी ही स्थिति फिर होनेवाली है. दरअसल अंचल के कार्यपालक पदाधिकारी कागज पर ही फॉगिंग करा रहे हैं. फॉगिंग में वित्तीय अनियमितता का आरोप निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पहले लगा चुका है, उस समय अंचल ने ब्यूरो की आपत्ति का जवाब नहीं दिया था.
एक ही साल में खराब हो गयीं मशीनें : पहले से निगम के पास पर्याप्त फॉगिंग मशीनें नहीं रही हैं. इसको लेकर सितंबर 2013 में 16 लाख में 59 फॉगिंग मशीनों की खरीदारी की गयी थीं. एनसीसी में 24, बांकीपुर अंचल में 9, कंकड़बाग अंचल में 9 और पटना सिटी अंचल में 17 फॉगिंग मशीनों की आपूर्ति की गयीं.
इन मशीनों से वर्ष 2013 में वार्ड स्तर पर फॉगिंग करायी गयी थी, लेकिन वर्ष 2014 में चारों अंचलों में मात्र 10 मशीनें ही चालू स्थिति में थी. इसका कारण था कि किसी कार्यपालक पदाधिकारी ने फॉगिंग मशीनों का मेंटेनेंस नहीं किया. कार्यपालक पदाधिकारी दो वर्ष से खराब पड़ी मशीनों के मेंटेनेंस में होनेवाले खर्च का आकलन ही कर रहे हैं. यही वजह है कि आज भी किसी वार्ड में नियमित फॉगिंग नहीं हो रही है.
शाम होते घरों में बैठना मुश्किल : गरमी की आहट होते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है. इस स्थिति में निगम क्षेत्र में नियमित फॉगिंग होनी चाहिए. अगर नियमित फॉगिंग संभव नहीं है, तो कम-से-कम तीन दिनों पर एक बार फॉगिंग करायी जानी चाहिए. लेकिन, वार्ड में एक दिन भी फॉगिंग नहीं हो रही है.
इससे मुहल्लों में मच्छरों का प्रकोप काफी बढ़ गया है. स्थिति यह हो गयी है कि शाम होते ही घरों में बैठना मुश्किल हो गया है. मजबूरन लोगों को अपने अपने घरों में मच्छर मारनेवाला क्वायल या लिक्विड जलाना पड़ता है.
इन मुहल्लों में ही होती फॉगिंग
एनसीसी अंचल क्षेत्र में सकरुलर रोड, गवर्नर हाउस के आसपास, सचिवालय के आसपास, विधानसभा परिसर व आसपास और मंत्री-विधायक के घरों आस-पास के साथ साथ सरकारी कार्यक्रम के निर्धारित स्थल पर ही फॉगिंग करायी जाती है.
पिछले माह स्थायी समिति की बैठक में आठ फॉगिंग मशीन खरीदने का निर्णय लिया गया, लेकिन मुख्य अभियंता ने विलंब किया. इसको लेकर स्पष्टीकरण पूछते हुए शीघ्र मशीन खरीदने का निर्देश दिया है. खराब मशीनों को दुरुस्त करने का भी आदेश दिया है, ताकि निगम में नियमित फॉगिंग हो सके.
शीर्षत कपिल अशोक, नगर आयुक्त, पटना
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