फोटो — खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला संवाददाता,पटना परंपरागत उपकरण और प्रक्रिया को नयी तकनीक में बदलना होगा. लीची की प्रोसेसिंग करेंगे,तो कीमत बढ़ेगी. गुणवत्ता में भी कमी नहीं आयेगी. 25-30 प्रतिशत लीची प्रोसेस नहीं होने के कारण बरबाद हो जाते हैं. ये बातें राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ राजेश कुमार ने कहीं. वह उद्यमिता विकास संस्थान की ओर से आयोजित इनोवेशन फॉर इनहाउसिंग इंडस्ट्रियल एवं उद्यमिता विकास के तहत खाद्य प्रसंस्करण (लीची,मखाना एवं वानिक उत्पाद) पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. वैज्ञानिक डॉ राजेश ने कहा कि लीची को बचाया जा सकता है. प्रोसेस होने से पांच प्रतिशत ही लीची बरबाद होगा. कार्यशाला का उद्घाटन खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय,उद्योग विभाग के उपनिदेशक एनके झा ने किया. संजय गांधी डेयरी टेक्नोलॉजी के सूर्यमणि कुमार ने प्रोसेसिंग की जागरूकता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग पर 40 रुपये प्रति किलो बिकने वाला लीची 60 रुपये प्रति किलो में मिलेगा. इससे बेहतर जूस व लीची बनाया जा सकता है. कृषि वैज्ञानिक एके सिंह ने कहा कि एक किलो मधु 80 रुपये प्रति किलो मिलता है. प्रोसेसिंग करने पर यही 300 रुपये प्रति किलो में बिकता है. एक किलो की प्रोसेसिंग में 60 रुपये का खर्च आता है. मौके पर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक उमेश कुमार सिंह व उद्योग विभाग के सहायक निदेशक संजीत कुमार उपस्थित थे.
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सामान के प्रोसेसिंग से मिलेगी बेहतर कीमत : डॉ राजेश,सं
फोटो — खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला संवाददाता,पटना परंपरागत उपकरण और प्रक्रिया को नयी तकनीक में बदलना होगा. लीची की प्रोसेसिंग करेंगे,तो कीमत बढ़ेगी. गुणवत्ता में भी कमी नहीं आयेगी. 25-30 प्रतिशत लीची प्रोसेस नहीं होने के कारण बरबाद हो जाते हैं. ये बातें राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुजफ्फरपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ […]
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