पटना: एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस) की रोकथाम के लिए नेशनल सेंट्रल फोर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम के साथ मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य समिति की बैठक हुई. बैठक में सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, सिविल सजर्न व एम्स पटना के निदेशक मौजूद थे. स्वास्थ्य विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट किया है. एम्स, पटना के डॉक्टर भी बीमारी से बचाव व मरीजों के इलाज में सहयोग करेंगे.
एइएस की चपेट में आने वाले बच्चों के ब्रेन का बायोप्सी होगा. इधर, पीएमसीएच के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में एइएस जांच के लिए किट आ गये हैं और अलग से वार्ड भी बनेंगे. जहां इस बीमारी की चपेट में आने वाले बच्चों व युवाओं को रखा जायेगा. बैठक में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव सह नोडल ऑफिसर एइएस मनोज कुमार, हेल्थ सोसाइटी के प्रशासी पदाधिकारी रजनीश कुमार,बीएमएसआइसीएल व स्वास्थ्य समिति के पदाधिकारी मौजूद थे.
बीमारी की चपेट में आने वाला कोई व्यक्ति अपना इलाज किसी निजी अस्पताल में कराता है, तो उसे इलाज के साथ पूरी जानकारी सिविल सजर्न कार्यालय को देनी होगी. जो ऐसा नहीं करेंगे और इसकी पुष्टि होगी, तो उस नर्सिग होम पर कार्रवाई भी होगी. निजी अस्पतालों को जेइ का लक्षण मिलने की जानकारी सिविल सजर्न को देनी होगी.
लक्षण
तेज बुखार आना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में ऐठन होना, बच्चे का सुस्त होना या बेहोश होना, चुट्टी काटने पर शरीर में कोई हरकत नहीं होना
(इन लक्षणों में से कोई भी हो, तो तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल,मेडिकल कॉलेज एवं अन्य चिह्न्ति अस्पताल में बच्चों को इलाज के लिए ले जाएं )
बचाव
धूप से बचें
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजा पानी से दो-तीन बार पोछें, आशा दीदी से संपर्क करें
साफ पानी में ओआरएस घोल कर पिलाएं
बेहोशी या मिरगी की अवस्था में बच्चे को हवादार स्थान पर रखे. मुंह में कुछ भी न दें नाक बंद नहीं करें.
एइएस पर एम्स डॉक्टर बहुत दिनों से काम कर रहे हैं. सरकार से जैसा निर्देश मिलेगा. एम्स के डॉक्टर उस दिशा में पूरा सहयोग करेंगे. जिन डॉक्टरों ने एइएस पर शोध किया गया है उनको उन इलाकों में भेजा जायेगा,जहां इसके प्रकोप सबसे अधिक हैं.
डॉ जीके सिंह,निदेशक,एम्स