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वासंती नवरात्रा 21 से आठ दिनों का होगा

पटना: हिंदू धर्मावलंबियों का पर्व वासंती नवरात्रा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन शनिवार 21 मार्च से शुरू होगा. इस बार षष्ठी तिथि के क्षय होने से नवरात्राि आठ दिनों की होगी. इसी बीच चैती छठ व रामनवमी भी मनायी जायेगी. नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना की जायेगी. मंदिरों व घरों में मां दुर्गा की […]

पटना: हिंदू धर्मावलंबियों का पर्व वासंती नवरात्रा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन शनिवार 21 मार्च से शुरू होगा. इस बार षष्ठी तिथि के क्षय होने से नवरात्राि आठ दिनों की होगी. इसी बीच चैती छठ व रामनवमी भी मनायी जायेगी. नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना की जायेगी. मंदिरों व घरों में मां दुर्गा की कलश स्थापना कर पूजा-अर्चना की जाती है.

पंडित मरकण्डेय शारदेय के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 21 मार्च को 1:15 मिनट तक रहेगी. इस दिन मां दुर्गा की कलश स्थापना कर पूजा-अर्चना की जायेगी. 22 मार्च को मां के दूसरे रुप की पूजा होगी. 28 को नवमी पूजन व हवन के साथ पूजा की समाप्ति होगी.

षष्ठी तिथि का हुआ क्षय : इस वार पंचमी तिथि 24 मार्च दिन मंगलवार को सुबह 7.27 मिनट में प्रारंभ हो रही है, जो अगले दिन सुबह 6.10 मिनट तक है. षष्ठी तिथि 25 मार्च दिन बुधवार की सुबह 5.20 मिनट तक ही है. उस दिन सूर्योदय 5.57 मिनट पर हो रही है. शास्त्रनुसार 24 घंटे की तिथि को पूर्णकाल माना गया है. इसके साथ ही सूर्योदय के पूर्व तिथि बीत जाने पर तिथि को क्षय माना गया है. ऐसे में षष्ठी तिथि 24 घंटे से कम की हो रही है. साथ ही सूर्योदय से पहले तक ही होने से षष्ठी तिथि का क्षय हो रहा है.
तिथि का विशेष महत्व : वेदों के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का भी विशेष महत्व है. सृष्टि का प्रारंभ इसी तिथि से माना जाता है.साथ ही साढ़े तीन स्वयं सिद्ध मुहूर्तो में इसे पहला मुहूर्त माना गया है. इस दिन से विक्रम संवत 2072 अर्थात् हिंदी कैलेंडर के अनुसार नये वर्ष का प्रारंभ होता है. वहीं, चैती छठ की शुरुआत चैत्र मास की चतुर्थी तिथि यानि 23 मार्च से हो रही है. इस व्रत की समाप्ति 26 मार्च को उदीयमान सूर्य के अर्घ के साथ होगी.
कलश स्थापन के शुभ मुहूर्त
सोमवार की प्रात: 7.30 से दोपहर 1.15 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. साथ ही 9.30 से 11.30 तक कलश स्थापना की जा सकती है. इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर और विदाई खड़ाऊं पर हो रहा है. घोड़े पर आगमन शासन सत्ता में परिवर्तन का सूचक है. वहीं, खड़ाऊं पर जाना परेशानी का संकेतक है. ज्योतिष के अनुसार मां का आना और जाना दोनों परिवर्तन का कारक है.

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