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विकास दर हुई कम, बढ़ी प्रति व्यक्ति आय

विधानमंडल में आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 पेश पटना : लगातार तीन साल तक राज्य की विकास दर में बढ़ोतरी के बाद इस बार इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. पिछली बार यह 10.74 प्रतिशत थी. इस बार यह घट कर 9.92 प्रतिशत रह गयी. हालांकि, प्रति व्यक्ति आय में पिछली बार की तुलना […]

विधानमंडल में आर्थिक सर्वेक्षण 2014-15 पेश
पटना : लगातार तीन साल तक राज्य की विकास दर में बढ़ोतरी के बाद इस बार इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. पिछली बार यह 10.74 प्रतिशत थी. इस बार यह घट कर 9.92 प्रतिशत रह गयी. हालांकि, प्रति व्यक्ति आय में पिछली बार की तुलना में 8.56 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
इस बार राज्य में प्रति व्यक्ति आय 33 हजार 954 रुपये है, जो पिछले साल की तुलना में 4275 रुपये अधिक है. इस बढ़ोतरी के बाद भी बिहार की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से ढाई गुनी कम है. एक अनुमान के मुताबित राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने में बिहार को करीब 15 साल लगेंगे.
बुधवार को विधानसभा में आर्थिक सव्रेक्षण 2014-15 की रिपोर्ट को वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने पेश की. इस रिपोर्ट में राज्य की वर्ष 2013-14 की आर्थिक स्थिति को पिछले सालों की
तुलना में दरसाया गया है. बाद में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि यह लगातार 9वीं बार है, जब किसी राज्य ने अपनी आर्थिक सव्रेक्षण रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की है. आर्थिक सव्रेक्षण में यह अच्छी बात सामने आयी है कि बैंकों के सीडी रेशियो (ऋण-जमा अनुपात) में पिछली बार के 40 प्रतिशत की तुलना में 46.51 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2013-14 में 3 लाख 43 हजार 54 करोड़ है, जबकि 2012-13 में यह 2 लाख 96 हजार 153 करोड़ था. राजकोषीय घाटा करीब 8349 करोड़ रुपये पहुंच गया है. 2012-13 में यह 5101 करोड़ था. पूंजीनिवेश में वृद्धि होने के कारण राजकोषीय घाटा बढ़ा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि विकास दर में गिरावट का प्रमुख कारण खराब मौसम के कारण कृषि क्षेत्र का सबसे ज्यादा प्रभावित होना है. राज्य का बड़ा हिस्सा सूखे और बाढ़ की मार से महीनों तक ग्रसित रहा, इससे फसल का उत्पादन कम हुआ. कृषि क्षेत्र अभी भी राज्य में सबसे ज्यादा रोजगार देनेवाला क्षेत्र है. इसके अलावा केंद्र से मिलने वाले रुपये में भी कमी आने के कारण भी विकास दर में गिरावट दर्ज की गयी है. परंतु यह अच्छी बात है कि पिछली साल की तुलना में उद्योग, रोजगार समेत अन्य गैर-कृषि सेक्टर में ग्रोथ अच्छा होने से आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. देश में तीन-चार राज्य ही ऐसे हैं, जिनकी विकास दो अंकों में है.

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