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चार माह से 25 बसें डिपो में खड़ीं हो रहीं बरबाद, चलने का इंतजार
पटना: पटना सहित राज्य के जिला मुख्यालयों में आने-जाने में हर दिन फजीहत हो रही है. होली खत्म भी हो गयी है. एक जगह से दूसरी जगह जाना दूभर हो गया है. यातायात की जो सुविधाएं हैं, वे भी कम पड़ गयी हैं. इधर बुडको के खजाने में पैसा रखा हुआ है, टेंडर भी जारी […]
पटना: पटना सहित राज्य के जिला मुख्यालयों में आने-जाने में हर दिन फजीहत हो रही है. होली खत्म भी हो गयी है. एक जगह से दूसरी जगह जाना दूभर हो गया है. यातायात की जो सुविधाएं हैं, वे भी कम पड़ गयी हैं. इधर बुडको के खजाने में पैसा रखा हुआ है, टेंडर भी जारी हो चुका है. सब कुछ होने के बाद भी बसों की खरीद नहीं हो रही है. बुडको की लापरवाही का आलम यह है कि चार माह से 25 बसें खरीद कर डिपो में धूल फांकने के लिए छोड़ दी गयी हैं.
शहरी यातायात को सुचारु बनाने के लिए 1600 बसों की खरीद की जानी है. इनमें से 881 बसों के लिए टेंडर भी जारी किया जा चुका है. शहरी यातायात के लिए पटना, गया व बोधगया के लिए 300 बसों की खरीद की जानी है. इनमें से पटना के लिए 240 तथा गया-बोधगया के लिए 60 बसों की खरीद की जानी थी. लेकिन पटना शहर के लिए अब तक 40 बसों की खरीद हुई है, जो शहर के विभिन्न रूटों पर चल रही हैं. वहीं 25 बसें बुडको के हैंडओवर कर दी गयी हैं, जो डिपो में यूं ही पड़ी हुई हैं. वहीं बाकी जिलों के लिए 581 बसें खरीदी जानी हैं. भारत सरकार ने इसके लिए 42 करोड़ रुपये जनवरी में राज्य सरकार को सौंप दिये हैं, जो बुडको के पास है.
पटना व गया शहर के लिए खरीदी जानेवाली बसों का टेंडर मौर्या मोटर को दिया जा चुका है. मौर्या मोटर के पदाधिकारियों का कहना है कि बुडको के आदेश पर अगस्त-सितंबर 2014 से सभी बसों को पटना में मंगा लिया गया है, लेकिन बुडको ने अब तक महज 65 बसों की ही डिलिवरी ली है. शेष सभी बसें गोदाम में पड़ी हुई हैं. बसों की डिलिवरी के पहले बुडको ने थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन सीआइआरटी के माध्यम से करा लिया है. इसके बाद एजेंसी की ओर से अब तक बुडको को 25 बार रिमाइंडर किया गया है. एजेंसी के पदाधिकारी बुडको के एमडी से इस संबंध में बात करने का समय मांग रहे हैं, लेकिन उनको समय नहीं दिया जा रहा है. आपूर्ति एजेंसी के पदाधिकारियों का कहना है कि बिना परिचालन के ही बसों की बैटरी और टायर सहित अन्य जरूरतमंद सामान खराब हो सकते हैं. बुडको का कहना है कि उनके पास बसों के रखरखाव के लिए जगह नहीं है.
उनको विभाग का नया प्रभार मिला है. किस परिस्थिति में इन बसों का हैंडओवर नहीं हो रहा है या जो बसें खरीदी गयी हैं, उनका परिचालन नहीं किया जा रहा है, अभी नहीं कह सकते हैं. बसों की खरीद डिपो में रखने के लिए नहीं की गयी है. जल्द ही इसकी समीक्षा कर बसों को चालू कराने की दिशा में प्रयास किया जायेगा.
अवधेश कुशवाहा, मंत्री, नगर विकास विभाग
डिपो में रखी गयी बसों की जांच नहीं की गयी है. बिना जांच के बसों को हैंडओवर नहीं लिया जा सकता. मौर्या मोटर द्वारा बसों को मंगा के रखा गया है, लेकिन बसों को जांच के बाद ही लिया जायेगा.
डीके शुक्ला, एमडी बुडको
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