पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मांझी मंत्रिपरिषद के गत 18 फरवरी को लिए गए निर्णय को बुधवार को रद्द करने के विरोध में प्रदेश के करीब एक लाख पुलिसकर्मी और उनके परिवार के सदस्यों ने इस साल होली पर्व नहीं मनाने का फैसला किया है. इसके तहत एक वित्तीय वर्ष में आरक्षी से लेकर निरीक्षक तक पुलिस कर्मियों को 12 महीने के स्थान पर 13 महीने के वेतन के भुगतान किया जाना था.
गत 20 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दिए जाने के पूर्व 10 से 19 फरवरी तक मांझी मंत्रिपरिषद की तीन बैठकों के दौरान लिए गए 34 निर्णयों को कल नीतीश मंत्रिपरिषद ने रद्द करते हुए संबंधित विभागों को आवश्यक समझे जाने पर उन प्रस्तावों को अपनाकर उन्हें मंत्रिपरिषद के समक्ष फिर से विचार के लिए पेश करने को कहा है. बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार के निर्णय के विरोध में करीब एक लाख पुलिसकर्मी में 80 हजार आरक्षी तथा 19 हजार निरीक्षक शामिल हैं और उनके परिवार के सदस्य कल होली पर्व नहीं मनाएंगे और उसे शोक दिवस के तौर पर मनाएंगे.
उन्होंने मांझी सरकार के निर्णय को वर्तमान राज्य सरकार द्वारा निरस्त किए जाने को बिहार के पुलिसकर्मियों के साथ अन्याय बताते हुए कहा कि अवकाश के दिन भी ड्यूटी की भरपाई के लिए उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और दिल्ली में पुलिसकर्मियों को साल में 12 के बजाए 13 महीने का वेतन दिया जाता है. मृत्युंजय ने कहा कि इसको लेकर आगे आंदोलन छेडने तथा रणनीति बनाने के लिए बिहार पुलिस एसोसिएशन की आम बैठक शीघ्र ही बुलायी जाएगी.
नीतीश सरकार को समर्थन दे रहे राजद के प्रवक्ता तथा पूर्व मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके मंत्रिपरिषद के निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने की मांग की है.