कुछ एक अधिकारियों को छोड़ कर अन्य किसी ने इससे संबंधित कोई जांच प्रतिवेदन मुख्य सचिव को नहीं भेजा है. इससे मुख्य सचिव का यह आदेश पूरी तरह से बेअसर दिख रहा है. जन सरोकार से जुड़ी योजनाओं की ग्राउंड स्तर पर समुचित मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है.
इस निरीक्षण की टिप्पणी या प्रतिवेदन तैयार करके मुख्य सचिव, एक प्रति विकास आयुक्त और जिले के प्रभारी मंत्री को सौंपना था. लेकिन, एक-दो प्रधान सचिवों को छोड़ कर किसी ने अपने आवंटित जिले का दौरा नहीं किया. इसी तरह सभी डीएम एवं एसपी को अपने-अपने जिले के किसी गांव में जाकर कैंप करके योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तुस्थिति देखनी थी. कैंप में आम लोगों से बातचीत करके यह जानने के लिए कहा गया था कि किस योजना में क्या परेशानी हो रही है. इन्हें इस जांच का प्रतिवेदन तैयार करके भेजना था. परंतु किसी जिले के डीएम-एसपी ने न ही किसी गांव में कैंप किया और न ही इससे संबंधित कोई जांच प्रतिवेदन भी भेजा है. मंत्रिमंडल सचिवालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, आठ महीने के दौरान एक-दो वरीय अधिकारियों ने जिले का भ्रमण किया है, लेकिन इसके अलावा किसी डीएम-एसपी का कोई जांच प्रतिवेदन नहीं प्राप्त हुआ है.