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अपना आदेश खुद नहीं मान रहे अधिकारी, डीएम समेत कोई अधिकारी नहीं जाते गांव में

पटना: राज्य में जन कल्याणकारी योजनाओं की गति देखने और लोगों तक इसकी वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. लेकिन इस जिम्मेदारी का पालन करने में अधिकारी बेहद सुस्त हैं. गांव में जाकर या कैंप करके लोगों से बातचीत करके कोई अधिकारी योजनाओं की हकीकत जानने का जहमत […]

पटना: राज्य में जन कल्याणकारी योजनाओं की गति देखने और लोगों तक इसकी वास्तविक स्थिति का जायजा लेने के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है. लेकिन इस जिम्मेदारी का पालन करने में अधिकारी बेहद सुस्त हैं. गांव में जाकर या कैंप करके लोगों से बातचीत करके कोई अधिकारी योजनाओं की हकीकत जानने का जहमत नहीं उठाते हैं.

कुछ एक अधिकारियों को छोड़ कर अन्य किसी ने इससे संबंधित कोई जांच प्रतिवेदन मुख्य सचिव को नहीं भेजा है. इससे मुख्य सचिव का यह आदेश पूरी तरह से बेअसर दिख रहा है. जन सरोकार से जुड़ी योजनाओं की ग्राउंड स्तर पर समुचित मॉनीटरिंग नहीं हो पा रही है.

यह था सीएस के आदेश में : वर्तमान मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने अगस्त, 2014 में सभी विभागों के प्रधान सचिवों व सचिवों के अलावा डीएम और एसपी को एक आदेश जारी किया था. इसके अनुसार, सभी प्रधान सचिवों व सचिवों को एक-एक जिला आवंटित कर दिया गया था. उन्हें अपने आवंटित जिले का कम-से-कम महीने में एक बार भ्रमण करना था. इस क्रम में उन्हें कुछ गांवों में जाना था. गांवों में योजनाओं का निरीक्षण करना था. ग्रामीण क्षेत्र के निरीक्षण में गरीब वर्ग के लोगों के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रमों के निरीक्षण को प्राथमिकता देनी थी.

इस निरीक्षण की टिप्पणी या प्रतिवेदन तैयार करके मुख्य सचिव, एक प्रति विकास आयुक्त और जिले के प्रभारी मंत्री को सौंपना था. लेकिन, एक-दो प्रधान सचिवों को छोड़ कर किसी ने अपने आवंटित जिले का दौरा नहीं किया. इसी तरह सभी डीएम एवं एसपी को अपने-अपने जिले के किसी गांव में जाकर कैंप करके योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तुस्थिति देखनी थी. कैंप में आम लोगों से बातचीत करके यह जानने के लिए कहा गया था कि किस योजना में क्या परेशानी हो रही है. इन्हें इस जांच का प्रतिवेदन तैयार करके भेजना था. परंतु किसी जिले के डीएम-एसपी ने न ही किसी गांव में कैंप किया और न ही इससे संबंधित कोई जांच प्रतिवेदन भी भेजा है. मंत्रिमंडल सचिवालय से प्राप्त सूचना के अनुसार, आठ महीने के दौरान एक-दो वरीय अधिकारियों ने जिले का भ्रमण किया है, लेकिन इसके अलावा किसी डीएम-एसपी का कोई जांच प्रतिवेदन नहीं प्राप्त हुआ है.

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