पटना: पटना हाइकोर्ट ने अरवल नरसंहार के 14 दोषियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. जस्टिस वीएन सिन्हा और प्रभात कुमार झा के खंडपीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया. इन सभी 14 अभियुक्तों को जहानाबाद कोर्ट ने 2009 में उम्रकैद की सजा सुनायी थी.
नौ जनवरी, 1998 को रामपुर चौरम, अरवल में सुरेश शर्मा का दाह-संस्कार कर लोग लौट रहे थे. इसी बीच उन पर अंधाधुंध फायरिंग की गयी. इसमें नौ लोगों की मौत हो गयी थी. इस हत्याकांड में एक खास समुदाय के लोगों पर आरोप लगा. संतु राम समेत अन्य 42 अभियुक्त बनाये गये.
बाद में 32 लोगों पर ट्रायल चला और आखिरकार 14 आरोपितों को दोषी मानते हुए 19 जनवरी, 2009 में जहानाबाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी. इसके बाद इन दोषियों ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में अपील की. इस मामले पर हाइकोर्ट ने पहले ही सुनवाई पूरी कर ली थी और बुधवार को फैसला सुनाया.
पुलिस अनुसंधान नहीं था सही : हाइकोर्ट
होइकोर्ट ने डीजीपी पीके ठाकुर और गृह सचिव आमिर सुबहानी को भी तलब किया और कहा कि इस मामले में पुलिस का अनुसंधान सही नहीं था. ऐसे मामलों में हार्ड स्टेप लें और समय पर प्रोसेस कराएं, ताकि घटना को अंजाम देनेवाले लोग बख्से नहीं जा सके.
फ्लैश बैक
घटना को अंजाम देने के घंटों बैठे थे नक्सली
घटना को अंजाम देने के बाद आये नक्सली घटनास्थल पर घंटों पर बैठे रहे. गांव के लोग जब लाश को लाने के लिए जैसे ही घटनास्थल की ओर बढ़े तभी नक्सलियों ने गोलियां बरासने लगे. इस दौरान ग्रामीणों ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसके बाद वहां से नक्सली भाग निकले. इसके बाद वहां गांववालों ने शव को उठाया