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मांझी सरकार को समर्थन देने पर 20 फरवरी को ऑन द फ्लोर निर्णय लेगी भाजपा : शाहनवाज हुसैन

नयी दिल्ली: बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर भाजपा कई विकल्पों पर विचार कर रही है. जिसमें से मुख्यमंत्री मांझी को समर्थन देना, सदन से वाकआऊट कर जाना और तीसरा विश्वासमत के दौरान मांझी द्वारा इस्तीफा दिलवाना भी शामिल है. हालांकि इस पर भाजपा के कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. क्योंकि […]

नयी दिल्ली: बिहार के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर भाजपा कई विकल्पों पर विचार कर रही है. जिसमें से मुख्यमंत्री मांझी को समर्थन देना, सदन से वाकआऊट कर जाना और तीसरा विश्वासमत के दौरान मांझी द्वारा इस्तीफा दिलवाना भी शामिल है. हालांकि इस पर भाजपा के कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. क्योंकि पार्टी की ओर से साफ तौर पर कहा गया है कि वर्तमान परिस्थिति के लिए सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार जिम्मेवार है.
भाजपा जिन विकल्पों पर विचार कर रही है, उसके अपने नफे-नुकसान भी है. लेकिन सूत्रों की माने तो भाजपा में विश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन से वाक आऊट करने पर सहमति बनती जा रही है. चूंकि बिना जोड़-तोड़ के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सरकार बनती नहीं दिख रही है, इसलिए भी भाजपा मांझी की सरकार बनाकर अपने ऊपर उस जोड़-तोड़ का श्रेय लेने के पक्ष में नहीं है. वरिष्ठ नेताओं का यह भी मानना है कि मांझी द्वारा जितना नुकसान नीतीश कुमार को पहुंचाना चाहिए था वह नुकसान पहुंच चुका है. इसलिए इस मामले में खुद को उलझाना ज्यादा अच्छा नहीं होगा.
हालांकि जिन विकल्पों पर चरचा है उसमें एक विकल्प यह भी है कि बहुमत का जुगाड़ न होने की स्थिति में मांझी विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान अपनी बात कहें और इस्तीफा दे दें. विधान सभा में अपनी बात बोलने के समय वह पूरी तरह से अपनी मन की बात बोले. जदयू खासकर नीतीश कुमार के छवि को जितना नुकसान पहुंचाये उससे भाजपा को फायदा होगा. शुरू में भाजपा मांझी को समर्थन देने पर भी विचार कर रही थी. लेकिन लेकिन यह स्पष्ट होता जा रहा है कि मांझी के पास विधायकों के जरूरी आंकड़ा नहीं है. दूसरी ओर जनता को यह मैसेज देने में जदयू कामयाब रहा है कि मांझी भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसलिए मांझी को सदन के पटल पर भी समर्थन दिया जाना चाहिए.
मांझी के विश्वास मत हारने के बाद भी पार्टी राज्य में प्रचार कर सकती है कि उसने महादलित सीएम का साथ दिया. इससे महादलित वाटों में नीतीश की जबरदस्त पकड़ को कम करने में मदद मिल सकती है. भाजपा के एक धड़ा का यह भी मानना है कि विश्वास मत के दौरान यदि गड़बड़ी होती है, अव्यवस्था होती है, राज्य में किसी तरह की अप्रिय घटना घटती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जाये. फिर छह महीना काम कर चुनाव में जाया जाये. हालांकि भाजपा को यह इतना आसान नहीं लग रहा है. क्योंकि इससे देश में भाजपा की छवि खराब होगी. ऐसे फैसले से नीतीश कुमार को फायदा भी पहुंच सकता है. इसलिए पार्टी की सहमति विश्वास प्रस्ताव के दौरान वाक आऊट करने की बनती दिख रही है.

पार्टी की ओर से आधिकारिक रूप से ऐसा कुछ भी बयान नहीं दिया जा रहा है. क्योंकि अंतिम फैसला अभी होना बाकी है. इसीलिए बिहार में पार्टी के स्टैंड से संबंधित सवाल के जवाब में पार्टी प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि ‘‘पार्टी 20 फरवरी को ऑन द फ्लोर निर्णय लेगी. अभी राज्य में क्या करना है, इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है. जो होगा वह विश्वास प्रस्ताव के दौरान ही होगा. वैसे भी बहुमत का फैसला विधानसभा के पटल पर ही होता है, इसीलिए पार्टी फ्लोर पर ही निर्णय लेगी कि उसे क्या करना है.’’

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