पटना: भाजपा राज्यपाल के फैसले का इंतजार करेगी. सदन के फ्लोर पर भाजपा क्या करेगी, इसका निर्णय राज्यपाल का फैसला आने के बाद लेगी. यह निर्णय मंगलवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के आवास पर हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में लिया गया.
दिल्ली चुनाव से लौटने के बाद सुशील मोदी, नंद किशोर यादव, प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, चंद्रमोहन राय, अरुण सिन्हा, विनोद नारायण झा, डॉ उषा विद्यार्थी, प्रेमरंजन पटेल और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ताओं ने बिहार के ताजा राजनीतिक हालात पर गहन मंथन किया. सूत्रों के अनुसार बैठक में अधिकतर नेता-विधायक जीतन राम मांझी का समर्थन देने के पक्ष में थे.
हालांकि इसके लिए पार्टी राज्यपाल के फैसले का इंतजार करेगी. बैठक में दिल्ली चुनाव की भी समीक्षा हुई. बिहार से दिल्ली चुनाव प्रचार करने गये पार्टी के कई नेताओं ने वहां मिली हार की वजहें बतायीं. बैठक में सहमति बनी कि राज्यपाल के निर्णय आने तक भाजपा वेट एंड वाच की मुद्रा में रहेगी.
राज्यपाल जल्द बुलाएं सत्र : मोदी
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी से जल्द बिहार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार का पक्ष सुना है. उनसे जल्द विशेष सत्र बुलाने की अपील करता हूं. मुख्यमंत्री को सदन में अपना बहुमत साबित करने का मौका देना चाहिए. मोदी ने कहा कि जब मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सदन में अपना बहुमत साबित कर देने की बात कह रहे हैं, तो राज्यपाल उन्हें कैसे बरखास्त कर सकते हैं.
मोदी ने कहा कि दिल्ली चुनाव में आप की सफलता पर नीतीश कुमार मुगालते में नहीं रहें. दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद उन्होंने कहा कि कुशासन के प्रतीक कांग्रेस और जंगल राज के लिए जिम्मेवार लालू प्रसाद के कंधों पर चढ़ नीतीश ऐसी सफलता कभी नहीं हासिल कर सकते. मोदी ने अरविंद केजरीवाल को बधाई दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता का निर्णय भाजपा को शिरोधार्य है. दिल्ली में कांग्रेस का 15 प्रतिशत वोट खिसकने के कारण आप के पक्ष में लहर पैदा हुई. बावजूद भाजपा वोट बचाने में सफल रही.
बिहार की जनता ने 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-जदयू के काम से संतुष्ट हो कर तीन चौथाई बहुमत दिया था. उस समय लोगों को तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके काम की भरपूर मजदूरी मिली थी, किंतु उन्होंने मौका मिलने पर अपनी महात्वाकांक्षा के चलते गंठबंधन तोड़ कर राज्य का विकास चौपट कर दिया. वह अपने अहंकार और सत्ता लोभ के कारण लगातार गलतियां करते चले जा रहे हैं. गंठबंधन तोड़ने के बाद उन्होंने जंगल राज के लिए जिम्मेवार लालू प्रसाद से हाथ मिला लिया. उन्होंने डॉ लोहिया के गैर कांग्रेसवाद का गला घोंट कर कांग्रेस को भी साथ ले लिया. नीतीश कुमार ने जिस तरह से जोड़-तोड़ की, महादलित मुख्यमंत्री का अपमान किया और राज्य में तनाव का माहौल बनाया. सूबे की जनता उन्हें सजा देने का मन बना चुकी है. लोगों ने दिल्ली में बेहतर काम करने के लिए जिस तरह आप को भारी बहुमत से सत्ता सौंपी, उसी तरह बिहार की जनता भी नीतीश-लालू की विकास विरोधी राजनीति और जंगल राज 2 से छुटकारा पाने के लिए भाजपा को भी शानदार सफलता का आशीर्वाद देगी.